कोरोना के खौफ जाने का नाम नहीं ले रहा। इसका वायरस रूप बदल-बदल कर आता रहता है। वैज्ञानिक काम में लग जाते फिर बताते यह उतना खतरनाक नहीं। कोरोना फिर वापस ? अभी तक नहीं। हम-आप कुछ-कुछ नये वैज्ञानिक शब्दों से परिचित होते, चर्चा चलती फिर शांति। आखिर यह कब तक चलेगा ? कोरोना से बङी कोई महामारी जब तक न आ जाये तब तक।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के नए सबवेरिएंट JN.1 को “वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट” घोषित किया है। आयें कुछ जानें इस JN.1 के बारे में। साथ ही कुछ आंकड़ों पर भी नजर दौङाते हैं यह जानने के लिये कि सच में खतरा है या बस यूं ही बार-बार डराया जा रहा बिना आधार की बातों से।
वर्तमान स्थिति: आंकड़ों की कहानी

- भारत में दिसंबर 2023 से जनवरी 2024 के बीच कोविड मामलों में 150% की वृद्धि पिछले वर्ष की तुलना में। यह पुष्टि नहीं करता कि कोरोना फिर वापस आ गया क्योंकि यह अभी भी बहुत कम है।
- केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु सबसे अधिक प्रभावित राज्य।
- अस्पताल में भर्ती होने की दर मात्र 2-3% कुल मरीजों में से (पिछली लहरों की तुलना में काफी कम)। तो थोङी शांति है, कोरोना फिर वापस नहीं आया।
भाग 1: नए वेरिएंट की पहचान और लक्षण
कोरोना का नया अवतार: JN.1 सबवेरिएंट
वैज्ञानिकों के अनुसार, JN.1 वेरिएंट ओमिक्रॉन BA.2.86 का उन्नत रूप है जिसमें स्पाइक प्रोटीन में अतिरिक्त म्यूटेशन हुआ है। अतः JN.1, COVID-19 के ओमिक्रॉन वेरिएंट का एक उप-वेरिएंट है। इसके स्पाइक प्रोटीन में एक अतिरिक्त उत्परिवर्तन इसकी विशेषता है, जिस पर वैज्ञानिकों द्वारा बारीकी से नज़र रखी जा रही है। हालाँकि माना जाता है कि इस उत्परिवर्तन के कारण यह अधिक आसानी से फैलता है, अधिकांश संक्रमण हल्के और अन्य ओमिक्रॉन उप-वेरिएंट के समान बताए गए हैं। अतः JN.1 जो वर्तमान का सबसे ज्यादा खतरनाक वह सीमा के भीतर ही खतरनाक। कोरोना फिर वापस नहीं।
विस्तृत लक्षण विश्लेषण (2024 संस्करण)
सामान्य लक्षण (80-85% मामले):
- गले में चुभन या खराश (पहले 2-3 दिन)
- नाक बहना या बंद होना
- सूखी खांसी (रात में बढ़ती है)। ये सब नीचे बताये आयुर्वेदिक उपायों से नियंत्रित किये जा सकते हैं।
जुलाई 2025 में कौन से COVID-19 वेरिएंट सामने आएंगे?
जब आप COVID-19 परीक्षण करवाते हैं, तो आपको यह पता नहीं चलेगा कि आपको किस प्रकार के संक्रमण का कारण बना। ऐसा इसलिए है क्योंकि COVID-19 परीक्षण केवल वायरस की उपस्थिति का पता लगाते हैं – वे प्रकार का निर्धारण नहीं करते। इसके लिये जीनोमिक अध्ययन किया जाता है जो सरकारी शोध संस्थानों में ही सम्भव है। यह वे तब करते जब किसी स्थान पर अधिक संख्या में इस तरह के मरीज मिलने लगें।
जीनोमिक अध्ययन में अनुक्रमण वायरस के आनुवंशिक कोड का अध्ययन करके यह निर्धारित किया जाता है कि संक्रमण किस प्रकार के वायरस के कारण हुआ। अनुक्रमण के परिणामों का उपयोग जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ समुदाय में वायरस के रुझानों को समझने के लिए करते हैं। वैज्ञानिक निरंतर यह शोध करते रहते हैं। समाचार तभी प्रसारित करते जब कोई खतरनाक वेरिएंट दिखे। ऐसा कोई प्रेस रिलीज नहीं आया जुलाई 2025 में अतः खतरे की बात नहीं। कोरोना फिर वापस नही, अभी तक।
भाग 2: आयुर्वेदिक उपचार – सम्पूर्ण मार्गदर्शिका
1. सितोपलादि चूर्ण आधारित उपचार प्रोटोकॉल
मूल फॉर्मूला:
- सितोपलादि चूर्ण – 40 ग्राम
- त्रिकटु (सोंठ+काली मिर्च+पिप्पली) – 10 ग्राम
- गोदंती भस्म – 5 ग्राम
- अभ्रक भस्म (शुद्ध) – 5 ग्राम
- प्रवाल पिष्टी – 5 ग्राम। एक चम्मच सुबह-शाम शहद या गर्म पानी से सेवन।
अनुकूलन तकनीक:
- कफ प्रधान स्थिति में:
- मूल फॉर्मूला + 1 चुटकी यवक्षार
- सेवन विधि: गुनगुने पानी/शहद के साथ दिन में 2 बार
- कफ न निकलने पर:
सेवन विधि: अदरक के रस के साथ
प्रवाल पिष्टी हटाकर टंकण भस्म 5 ग्राम मिलाएं
निष्कर्ष: समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण
कोरोना की नई लहर यदि आती है तो हमें फिर से याद दिलायेगी कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर चलना ही सच्ची रोग प्रतिरोधन क्रिया है। मगर एक बार पुनः – कोरोना फिर वापस नहीं, 5.8.2025 की ताजी खबर। आगे यदि इस विषय पर कुछ जानने लायक खवरें आयीं तो मेरा वादा – यहां update अवश्य डालूंगा।
अंतिम सुझाव:
- पैनिक न करें, लेकिन लापरवाही भी न बरतें।
- घरेलू उपचार 3-4 दिन में आराम न दे तो डॉक्टर से संपर्क करें।
“सर्वे सन्तु निरामयाः” – सभी रोगमुक्त हों, यही हमारी कामना है।
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