लीवर फिट तो अधिकतर बीमारियां दूर।
### लीवर स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक सुझाव
लिवर की बात चली तो एक वाकया याद आया। एक समय की बात है, एक साधू बाबा के पास लोग अपनी शारीरिक समस्याओं के समाधान के लिए जाया करते थे। वे सभी को अपने हवन कुंडों की भभूत देते थे और कहते थे कि इसे एक-एक चुटकी सुबह-शाम जल के साथ सेवन करें। आश्चर्यजनक रूप से, अधिकतर लोग इससे ठीक हो जाते थे। एक दिन एक वैद्यजी ने जानने की कोशिश की कि इस भभूत में ऐसा क्या खास है। पता चला कि हवन में सरपुंखा की लकड़ी का उपयोग किया जाता था, जो आश्रम के पास बहुतायत में मिलती थी। इस लकड़ी के जलने से बनी भभूत में सरपुंखा क्षार होता था, जो लीवर के लिए अत्यंत लाभदायक है।
अब सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अधिकांश बीमारियां लीवर की गड़बड़ी से होती हैं। भोजन से अवशोषित तरल रूप में पोषक तत्व सीधे लिवर में आते हैं। यहां इनका शोधन कर रक्त में क्या भेजना और क्या रोक कर रखना यह निर्णय लिवर लेता है। कहा जाता है लिवर के पास अपना दिमाग होता है। विश्व लीवर दिवस, जो 28 जुलाई को मनाया जाता है, हमें यही संदेश देता है कि लीवर को स्वस्थ और जवां रखना अत्यंत आवश्यक है।

### आयुर्वेद में लीवर की देखभाल
लीवर की दवा आयुर्वेद की ही सबसे प्रभावी और सुरक्षित मानी जाती है। सरपुंखा, कुटकी, कालमेघ, पुनर्नवा, गिलोय, गोखरू, भृंगराज, कासनी, चित्रक जैसी अनेक जड़ी-बूटियां हैं जो लीवर को मजबूत करने में सहायक होती हैं। कई भस्म हैं जो लिवर को रुग्नावस्था से निकाल स्वस्थ बनाते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा में लीवर के लिए तरल दवाओं का सेवन अधिक प्रभावी माना जाता है, जो सीरप या काढ़ा (क्वाथ) के रूप में उपलब्ध होती हैं।
कुटकी और नेपाली चिरायता – ये दो सबसे अधिक प्रभावशाली जड़ी-बूटियां हैं और सबसे महंगी भी। सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप स्वयं जड़ी-बूटियों का काढ़ा बनाकर सेवन करें। 15 दिनों के नियमित सेवन से आप अपने लीवर में सकारात्मक अंतर देख सकते हैं। हर छः महीने में 15 दिन काढ़ा सेवन करें और 90% बीमारियों से मुक्ति पाएं। यह मेरा निजी अनुभव है।
### घरेलू उपचार
1. **नाभि में जैतून का तेल:** यह लीवर के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है।
2. **ताजे अंगूर का जूस:** यह भी लीवर के लिए बहुत फायदेमंद है।
3. **चुकंदर का जूस:** यह लीवर को साफ और स्वस्थ रखने में सहायक है।
4. **नींबू का सेवन:** नींबू तो सर्वथा सुलभ होता है। भोजन के साथ लिया जा सकता है। सिर्फ नींबू रस में थोड़ी हल्दी मिलाकर पीने से लीवर में जमा गंदगी साफ होती है।
### फैटी लीवर के लिए उपाय
1. **नींबू और मसाले:** एक कागजी नींबू के चार फांक करें। मरीच चूर्ण, सेंधा नमक, मिश्री और सोंठ चूर्ण एक-एक पर छिड़ककर रात भर ढककर छोड़ दें। सुबह बारी-बारी से तवे पर सेंक कर चूसें। फैटी लीवर में आराम मिलेगा।
2. **मट्ठा (तक्र) का सेवन:** यह लीवर के लिए बहुत लाभदायी है।
### आयुर्वेदिक चिकित्सकीय परामर्श
फैटी लीवर के कम गंभीर मामलों में, आयुर्वेदिक चिकित्सक महाशंख वटी, आरोग्य वर्धनी वटी और कुमारीआसव का प्रयोग करते हैं। यदि समस्या ग्रेड 2 या 3 की है, तो इन दवाओं से लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए, इनका सेवन हमेशा परामर्श के बाद ही करें। परिस्थिति अनुसार वैद्यगण मेदोहर गुग्गुल, त्रयुष्णादि लौह, क्रवायाद रस, आरोग्य वर्धनी वटी, यक्रिदरी लौह, पुनर्नवादि गुग्गुल, आदि का चुनाव करते हैं।
### निष्कर्ष
लीवर का स्वास्थ्य बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसके लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा एक प्रभावी और सुरक्षित विकल्प है। सही जड़ी-बूटियों का उपयोग और नियमित रूप से काढ़ा या सीरप का सेवन करके आप अपने लीवर को स्वस्थ रख सकते हैं। इसके साथ ही, घरेलू उपाय और सही खानपान भी लीवर के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, अपने लीवर का ध्यान रखें और स्वस्थ जीवन का आनंद लें।
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