अथेरोस्कलेरोसिस का आयुर्वेदिक उपचार यानी धमनियों में प्लाक (गंदगी) जमने को साफ करना। यह समस्या धीरे-धीरे हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक का कारण बनती है। आयुर्वेद में इसके लिए बिना सर्जरी के प्रभावी उपचार मौजूद हैं, जो न केवल धमनियों को साफ करते हैं बल्कि हृदय को पुनः स्वस्थ भी बनाते हैं। प्रस्तुत है अथेरोस्कलेरोसिस का आयुर्वेदिक उपचार।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे:
✔️ एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण (आयुर्वेदिक व आधुनिक दृष्टिकोण)
✔️ धमनियों की सफाई के लिए शीर्ष आयुर्वेदिक औषधियाँ
✔️ HDL (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) बढ़ाने व LDL (खराब कोलेस्ट्रॉल) घटाने के उपाय
✔️ घरेलू नुस्खे व आहार संबंधी सुझाव
✔️ योग व प्राणायाम जो हृदय को मजबूत बनाते हैं
भाग 1: एथेरोस्क्लेरोसिस क्या है? कारण व लक्षण

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
आयुर्वेद में एथेरोस्क्लेरोसिस को “सिरा गत वात-कफ दोष” माना जाता है। जब कफ दोष बढ़ता है, तो यह धमनियों में आम (विषाक्त पदार्थ) के रूप में जमा हो जाता है, जिससे रक्त प्रवाह अवरुद्ध होता है।
आधुनिक विज्ञान के अनुसार कारण
- उच्च LDL कोलेस्ट्रॉल – खराब वसा का जमाव
- धूम्रपान व शराब – धमनियों को नुकसान पहुँचाना
- मधुमेह व उच्च रक्तचाप – रक्त वाहिकाओं को कमजोर करना
- तनाव व निष्क्रिय जीवनशैली – रक्त संचार में बाधा
लक्षण
- सीने में दर्द (एनजाइना)
- सांस लेने में तकलीफ
- थकान व चक्कर आना
- पैरों में दर्द (परिधीय धमनी रोग)
ध्यान दें: यदि ये लक्षण दिखें, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करें।
भाग 2: अथेरोस्कलेरोसिस धमनियों की सफाई के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ

1. प्रभाकर वटी + अर्जुन छाल का काढ़ा प्रभाकर वटी हृदय रोगों की प्राथमिक औषधि है। अर्जुन छाल हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है। उपयोग विधि: अर्जुन छाल को दूध व पानी (50:50) में उबालकर काढ़ा बनाएं और प्रभाकर वटी के साथ लें।
अर्जुन छाल हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
उपयोग विधि: अर्जुन छाल को दूध व पानी (50:50) में उबालकर काढ़ा बनाएं और प्रभाकर वटी के साथ लें।
2. शिलाजीत
यह धमनियों में जमे प्लाक को घोलता है और रक्त प्रवाह सुधारता है।
खुराक: 250-500 mg सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ।
3. प्रवाल पिष्टी व जवाहर मोहरा
ये औषधियाँ धमनियों की दीवारों को मजबूत करती हैं।
उपयोग: चिकित्सक की सलाह से 125-250 mg दिन में दो बार।
4. चन्द्रप्रभा वटी
यह शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालकर रक्त को शुद्ध करती है।
5. त्रिफला + गुग्गुल
त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आँवला) और गुग्गुल का संयोजन कोलेस्ट्रॉल कम करता है।
सावधानी: इन औषधियों का सेवन किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही करें।
भाग 3: अथेरोस्कलेरोसिस में HDL बढ़ाने व LDL घटाने के घरेलू उपाय
1. लहसुन + दालचीनी
लहसुन में एलिसिन होता है, जो रक्त को पतला करता है।
दालचीनी ब्लड शुगर नियंत्रित करती है।
उपयोग: 1 लहसुन की कली + ½ चम्मच दालचीनी पाउडर सुबह खाली पेट लें।
2. अलसी का चूर्ण
ओमेगा-3 से भरपूर, जो ट्राइग्लिसराइड्स कम करता है।
खुराक: 1 चम्मच भुनी अलसी सुबह-शाम गर्म पानी के साथ।
3. नारियल तेल
MCT (मध्यम-श्रृंखला ट्राइग्लिसराइड्स) HDL बढ़ाता है।
उपयोग: 1 चम्मच नारियल तेल भोजन में मिलाएं।
4. कच्ची हल्दी
करक्यूमिन सूजन कम करता है और धमनियों को साफ करता है।
उपयोग: 1 इंच कच्ची हल्दी चबाकर खाएं या दूध में मिलाकर पिएं।
5. लाल मिर्च (कैप्सेसिन)
LDL कोलेस्ट्रॉल कम करती है।
भाग 4: हृदय स्वास्थ्य के लिए योग व प्राणायाम
1. अनुलोम-विलोम प्राणायाम
हृदय की कार्यक्षमता बढ़ाता है।
2. कपालभाति
रक्त संचार सुधारता है।
3. सूर्य नमस्कार
पूरे शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ाता है।
4. हृदय मुद्रा
हृदय को ऊर्जा प्रदान करती है।
निष्कर्ष
एथेरोस्क्लेरोसिस को प्राकृतिक रूप से ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक दवाएं, घरेलू नुस्खे, आहार परिवर्तन और योग का संयोजन सर्वोत्तम है। अर्जुन छाल, शिलाजीत, लहसुन और अलसी जैसी औषधियाँ धमनियों की सफाई में मदद करती हैं, जबकि नारियल तेल और ओमेगा-3 युक्त आहार HDL को बढ़ाते हैं।
अंतिम सुझाव: किसी भी उपचार को शुरू करने से पहले एक आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श करें।
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संदर्भ ग्रंथ व बाहरी लिंक्स:
– NIH Study on Arjuna for Heart Health
– Ayurvedic Management of Cholesterol
– Omega-3 Rich Foods for Heart
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