POK की वापसी : हर भारतीय की इच्छा

भारत ने पाकिस्तान के जो भी हिस्से युद्ध में जीते तुरंत वापस किये। पर हमारा कुछ हिस्सा एक बार ही गया, अफसोस अभी तक हमारे पास नहीं आया। वह है POK -(Pakistan Occupied Kashmir) पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर । 1947 के कबायली हमले में वह हिस्सा हमारे पास से चला गया था। हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) को भारत में मिलाने को लेकर कई राजनीतिक बयान सामने आए हैं।

भारत सरकार का रुख

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अप्रैल 2025 में लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि “वह दिन दूर नहीं जब PoK के लोग स्वयं भारत में विलय की मांग करेंगे”।  उन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक स्थिति में सुधार का हवाला देते हुए यह विश्वास जताया कि PoK के निवासी भारत के साथ एकीकरण की इच्छा व्यक्त करेंगे। 

इसके अलावा, भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि आपरेशन सिन्दूर के बाद के युद्ध विराम के बाद अब पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत का विषय केवल PoK की वापसी और आतंकवादियों के प्रत्यर्पण तक सीमित रहेगा।

राजनीतिक समर्थन

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि “पाकिस्तान को दो भागों में विभाजित करें और PoK को भारत में मिलाएं”।  उन्होंने कहा कि “140 करोड़ भारतीय आपके साथ हैं”। 

सैन्य कार्रवाई और वर्तमान स्थिति

हाल ही में हुए “ऑपरेशन सिन्दूर” के तहत भारत ने पाकिस्तान और PoK में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों पर हमले किए।  यह कार्रवाई पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की मृत्यु हुई थी। 

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: भारत की नीति को मिल रहा समर्थन

भारत द्वारा PoK पर अपनाए गए स्पष्ट रुख को कई देशों ने अप्रत्यक्ष समर्थन दिया है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत के कड़े रुख की सराहना की है। संयुक्त राष्ट्र ने भी बार-बार पाकिस्तान से आतंकी समूहों को पनाह न देने की अपील की है। भारत के यह संदेश साफ हैं — PoK भारत का अभिन्न अंग है और वैश्विक मंच पर अब इस दृष्टिकोण को चुनौती देना कठिन होता जा रहा है।

पाकिस्तान की चिंता और जवाबी बयान

PoK को लेकर भारत के सख्त रुख और हालिया एयरस्ट्राइक्स के बाद पाकिस्तान ने कड़े विरोध जताए हैं जो स्वाभाविक है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की साख पहले से ही कमजोर पड़ चुकी है। FATF (Financial Action Task Force) की निगरानी सूची से बाहर आने के बाद भी उस पर आतंकी पनाहगार होने के आरोप बार-बार लगते रहे हैं। भारत के सर्जिकल और एयर स्ट्राइक्स से उसकी आंतरिक स्थिति भी डावांडोल हो रही है।

कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद की रणनीति

2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद भारत सरकार ने इस क्षेत्र के विकास, स्थायित्व और एकीकरण को लेकर गंभीर कदम उठाए। कई विकास योजनाएं, सड़कों का जाल, और रोजगार सृजन की दिशा में ठोस प्रयास हुए हैं। सरकार का अगला लक्ष्य स्पष्ट दिखाई देता है — PoK को भी इसी विकास यात्रा में सम्मिलित करना।

जनमत का बदलता स्वर: PoK की जनता की भावनाएं

हालिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स यह दर्शाती हैं कि PoK में रहने वाले लोग अब पाकिस्तान के शासन से असंतुष्ट हैं। वहां के नागरिक बार-बार महंगाई, बेरोजगारी और बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं। भारत की आर्थिक प्रगति और कश्मीर में हो रहे बदलावों ने PoK की जनता को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि शायद भारत से जुड़ना उनके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।

रणनीतिक और सैन्य दृष्टिकोण से महत्व

PoK न केवल एक संवेदनशील भू-भाग है, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र चीन-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का हिस्सा भी है, जो भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती माना जाता है। यदि भारत इस क्षेत्र पर नियंत्रण पाता है, तो यह न केवल उसकी भौगोलिक स्थिति को मज़बूत करेगा, बल्कि चीन और पाकिस्तान दोनों पर रणनीतिक दबाव भी बनाएगा।

निष्कर्ष: अब सिर्फ समय की बात?

भारत सरकार का रुख, जनता का समर्थन, सैन्य ताकत, और वैश्विक मंच पर मिल रहे नैतिक समर्थन को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि PoK का भारत में विलय अब केवल समय की बात रह गई है। हालांकि यह प्रक्रिया राजनीतिक, कूटनीतिक और रणनीतिक स्तरों पर जटिल है, लेकिन भारत अपने लक्ष्य की ओर स्पष्ट और दृढ़ता से बढ़ रहा है।






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