आयुर्वेद में पीसीओडी (PCOD) या पीसीओएस (PCOS) को रसौली कहा जाता है, जो महिलाओं के शरीर में हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाला एक जटिल विकार है। इस स्थिति के कारण महिलाओं के अवांछित अंगों पर बाल उग आते हैं, जिसे हर्सुटिज्म (Hirsutism) के नाम से जाना जाता है। डिम्बाशय (Overy) में गांठें भी हो जाती हैं। अंग्रेजी में इस स्थिति को पॉली सिस्टिक ओवरियन डिजीज (Polycystic Ovarian Disease) कहा जाता है। इससे ग्रस्त महिलाओं की संख्या काफी है।

**पीसीओडी (PCOD) के कारण और आयुर्वेदिक समाधान**
पीसीओडी (PCOD) का मुख्य कारण महिलाओं के शरीर में पुरुष सेक्स हार्मोन, विशेष रूप से टेस्टोस्टेरोन, का बढ़ना है। इस हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा में फीमेल सेक्स हॉर्मोन को संतुलित करने पर जोर दिया जाता है। एक स्वस्थ जीवनशैली और सही खानपान के साथ आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग इस विकार को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
शुरुआत के लिए, आप **फल कल्याण घृत** से चिकित्सा आरंभ कर सकते हैं। यह एक प्रभावी शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे हमारे वैद्य-समूह में विशेष रूप से तैयार किया जाता है। इसके साथ **अशोकारिष्ट** और **पत्रांगसव** लेना चाहिए। अक्सर कंचनार गुग्गुल, वृद्धि वाधिका वटी, कंचनार छाल + गोरखमुण्डी पंचांग चूंण का क्वाथ भी चलाया जाता है। इनका प्रयोग शुरुआती अवस्था में किया जा सकता है, और यदि लाभ दिखने लगे तो संभवतः इतना ही उपचार पर्याप्त हो सकता है।
हालांकि, अगर पीसीओएस का मामला अधिक गंभीर हो, तो **रसौली नाशक चूर्ण** का प्रयोग किया जा सकता है। यह हमारे वेद्य-समूह का एक स्वानुभूत आयुर्वेदिक योग है, जिसकी सफलता दर काफी अच्छी है। विशेष रूप से एडवांस्ड स्टेज वाले मामलों में इसका उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद में यह रोग पूरी तरह से इलाज योग्य है, लेकिन उपचार के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। ये तो मुख्य औषधियां हुईं।
**उपचार में ध्यान देने योग्य बातें**
1. **स्वर्ण भस्म** – यह रसौली नाशक चूर्ण का एक मुख्य घटक है, और इसकी कीमत सन् 2024 में बाजार में लगभग 20,000 रुपये प्रति ग्राम है। इसे 80 दिनों के चक्र में लिया जाता है। इस चूर्ण के अन्य घटक अपेक्षाकृत कम महंगे हैं, लेकिन फिर भी, पूरे 80 दिनों के उपचार की लागत लगभग पच्चीस हजार रुपये होती है।
2. **उपचार चक्र** – एक चक्र 80 दिनों का होता है। इसके बाद अल्ट्रासाउंड द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि रसौली खत्म हुई या नहीं। अधिकांश मामलों में एक चक्र ही पर्याप्त होता है, लेकिन कुछ मामलों में दो चक्रों की आवश्यकता भी हो सकती है। यदि दूसरा चक्र आवश्यक हो, तो इसमें हम कुछ अन्य कम महंगी दवाओं को शामिल कर सकते हैं, ताकि विफलता की संभावना को कम किया जा सके।
**स्वस्थ आहार का महत्व**
आयुर्वेद में आहार को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है, और पीसीओडी जैसी स्थितियों में सही आहार का पालन करना अत्यावश्यक है। नियमित रूप से **अलसी** (तिसी) का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। इसे भूनकर चूर्ण बना लें और रोजाना एक चम्मच गर्म पानी के साथ लें। अलसी हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है।
**सोयाबीन** – यह प्रोटीन से भरपूर होता है और पुरुष सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन को कम करने में मदद करता है, जो पीसीओएस के मरीजों के लिए अत्यंत लाभदायक है। आप अपने भोजन में सोयाबीन का तेल भी शामिल कर सकते हैं, जो इसे और भी प्रभावी बनाता है।
**अखरोट और बादाम** – ये नट्स भी टेस्टोस्टेरोन को कम करने में सहायक होते हैं, और इनके सेवन से अन्य स्वास्थ्य लाभ भी मिल सकते हैं। पीसीओडी से पीड़ित महिलाएं इन्हें अपने दैनिक आहार में शामिल कर सकती हैं।
**आयुर्वेदिक उपचार की व्यापकता**
आयुर्वेद में पीसीओएस को ठीक करने के लिए कई प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं। ये दवाएं न केवल महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन को कम करती हैं, बल्कि हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होती हैं। हालांकि, हर महिला के शरीर और उसकी स्थिति के अनुसार उपचार में अंतर हो सकता है, इसलिए किसी विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है।
**निष्कर्ष**
आयुर्वेदिक में PCOD का उपचार पूरी तरह से संभव है। सही आहार, जीवनशैली, और औषधियों का संयोजन इस विकार को नियंत्रित तथा ठीक करने में अत्यधिक प्रभावी हो सकता है। महिलाओं को इस दिशा में सजग रहकर अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए, और यदि आवश्यक हो तो विशेषज्ञ से परामर्श लेकर उचित उपचार करना चाहिए।
आयुर्वेद में निहित ज्ञान और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां महिलाओं के लिए एक सशक्त विकल्प प्रदान करती हैं, जिससे वे अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती हैं।
Leave a Reply to Mrs Jayanti Cancel reply