नाग पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसमें नाग देवता की पूजा की जाती है। नाग पंचमी का चयन एक सुविचारित संयोजन है जो **प्रकृति, ज्योतिष और पुराणों** के तर्कों पर आधारित है। यह तिथि न केवल धार्मिक है, बल्कि **पारिस्थितिक संतुलन** को भी दर्शाती है। इस दिन नागों को दूध पिलाने की परंपरा है जिसे शुभ और पुण्यदायी माना जाता है। यह दूध पिलाना तो शास्त्र सम्मत नहीं। किसी पूजन विधि वाले कर्मकांड के ग्रन्थ में ऐसा कोई निर्देश नहीं मिलता। क्या वास्तव में नाग (साँप) दूध पी सकते हैं? क्या यह परंपरा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सही है? कहीं हम ऐसा करके घोर पाप तो नहीं कर रहे, नागों की मृत्यु का कारण तो नहीं बन रहे ? एक विश्लेषण प्रस्तुत है।

पंचमी ही क्यों
“नागानां पंचमी श्रेष्ठा” (नागों के लिए पंचमी तिथि सर्वोत्तम है) — स्कंद पुराण
**पंचमी तिथि का रहस्य**
– हिंदू पंचांग में **पंचमी तिथि** को नागों से जोड़ा गया है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन नागों की शक्ति चरम पर होती है।
– **चंद्रमा का प्रभाव**: पंचमी तिथि में चंद्रमा की विशेष स्थिति जल तत्व को प्रभावित करती है, जो सर्पों से संबंधित माना जाता है। वैसे नाग पंचमी श्रावण मास में मनाया जाता है। श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में वर्षा ऋतु होती है, जब साँप अपने बिलों से बाहर निकलते हैं।
– नमी और बाढ़ के कारण साँप मानव आवासों में आ जाते हैं, इसलिए उन्हें प्रसन्न रखने की परंपरा बनी।
नाग पंचमी और दूध पिलाने की परंपरा
नाग पंचमी के दिन लोग नागों की मूर्तियों या जीवित साँपों को दूध अर्पित करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं और कुटुंब की रक्षा करते हैं। किंतु, यह प्रथा वैज्ञानिक तथ्यों के विपरीत है।
पौराणिक मान्यताएँ
- शेषनाग की कथा: पुराणों में शेषनाग को विष्णु की शय्या बताया गया है।
- नागों की पूजा: महाभारत में नागराज तक्षक और अन्य नागों का उल्लेख मिलता है।
- दूध का महत्व: दूध को पवित्र माना जाता है, इसलिए इसे देवताओं को अर्पित किया जाता है।
क्षेत्रीय परंपराएँ
- महाराष्ट्र: नागपंचमी पर ‘नागोबा’ की पूजा की जाती है।
- बिहार और उत्तर प्रदेश: लोग नाग देवता के चित्रों पर दूध चढ़ाते हैं।
- दक्षिण भारत: इस दिन ‘नाग कन्याओं’ की पूजा की जाती है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण: क्या साँप दूध पी सकते हैं?
1. साँपों की शारीरिक संरचना
साँप मांसाहारी होते हैं और उनका पाचन तंत्र केवल प्रोटीन (मांस, अंडे, छोटे जीव) को पचाने के लिए बना होता है।
- दूध पचाने में असमर्थ: साँपों में लैक्टेज एंजाइम नहीं होता, जो दूध में मौजूद लैक्टोज को पचाने के लिए जरूरी है।
- लैक्टोज इनटॉलेरेंस: अधिकांश साँप दूध पीने के बाद डिहाइड्रेशन, उल्टी या अपच का शिकार हो सकते हैं।
2. साँपों का प्राकृतिक आहार
- छोटे कृंतक (चूहे, गिलहरी)
- मेंढक, छिपकली
- अंडे और छोटे पक्षी
- अन्य साँप (कुछ प्रजातियाँ)
दूध उनके प्राकृतिक आहार का हिस्सा नहीं है।
3. दूध पिलाने के दुष्परिणाम
- आंतों में संक्रमण: दूध सड़कर साँपों के पेट में बैक्टीरिया पैदा कर सकता है।
- निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन): दूध पीने से साँपों को प्यास लगती है, लेकिन वे पानी नहीं पी पाते।
- मृत्यु तक की स्थिति: कई बार साँप दूध नहीं पीते, लेकिन जबरदस्ती पिलाने से वे शॉक में आकर मर जाते हैं।
निष्कर्ष
नाग पंचमी की परंपरा आस्था और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इसे वैज्ञानिक जागरूकता के साथ मनाना चाहिए। साँप दूध नहीं पी सकते, और उन्हें जबरदस्ती दूध पिलाना उनकी मौत का कारण बन सकता है। हमें धार्मिक आस्था और प्रकृति संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए।
संदर्भ स्रोत (External Links)
- Wildlife SOS on Snake Milk Myth
- National Geographic – Snake Digestion
- Indian Forest Department Advisory
इस लेख को साझा करके नाग पंचमी पर साँपों की सुरक्षा का संदेश फैलाएँ! 🐍🌿
#NagPanchami #SnakeConservation #MythBusters #WildlifeProtection
Leave a Reply