कैंसर क्यों होता यह न आयुर्वेद और न आधुनिक चिकित्सा विज्ञान आज तक बता पाया। सिलेबस में जब कठिन अध्याय आता था तो विद्यार्थी जीवन में टेस्टबुक से इसे पूरा पढते थे – thorough reading। कैंसर चिकित्सा में भी यही विधि अपनानी चाहिये। हम तो यही करते जो यहां आगे स्पष्ट हो जायेगा। यह उपचार विधि स्तन कैंसर (Breast Cancer),फेफड़ों के कैंसर, मुँह के कैंसर एवं गले के कैंसर के लिए रामबाण की तरह कार्य करता हैं । कैंसर के उपचार में आयुर्वेद का महत्त्व अनमोल है। हमारे वैद्य समूह ने वर्षों से विभिन्न प्रकार के कैंसर का सफलतापूर्वक उपचार किया है। निम्नलिखित उपायों में दिए गए सभी औषधियों का उपयोग किया जाता है। ये सभी औषधियाँ हमारे वैद्य समूह द्वारा हस्तनिर्मित होती हैं और पार्सल द्वारा पूरे भारत में भेजी जाती हैं।
### कैंसर का परिचय और आयुर्वेद का दृष्टिकोण
कैंसर एक जटिल बीमारी है, जिसमें शरीर की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। आयुर्वेद में इसे ‘अर्बुद’ कहा जाता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण में, यह दोषों के असंतुलन के कारण होता है और इसका उपचार दोषों को संतुलित करने पर आधारित होता है।

*प्रथम चरण : शरीर को शुद्ध करना*
कैंसर के रोगी को देशी गोमूत्र 25 एमएल ताजा एवं 1 ग्राम भुनी हल्दी (दोनों मिश्रित करके) सुबह-शाम दो बार अवश्य दे ।
इसी के साथ शप्तरंगी एवं रक्त रोहिड़ा का काढ़ा बनाकर 2-2 चम्मच 3 बार दे । सिद्ध कायाकल्प क्वाथ चूर्ण तथा सिद्ध पंचगिलोय क्वाथ चूर्ण मिश्रित करके पानी में सुबह-शाम उबाल-छान कर पिलायें। ये सब शरीर को शुद्ध करने में मदद करता है। प्रथम चरण अकेले एक महीने चलेगा।
*दूसरा चरण : रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढाना*
दूसरे चरण में विभिन्न औषधियों का उपयोग किया जाता है, जैसे संजीवनी वटी, शिला सिन्दूर, रस सिंदूर, ताम्रभस्म, सर्वागा सत, यष्टिमधु, हल्दी, गिलोय सत, अभ्रक भस्म सहस्रपुटी, हीरक भस्म, बसन्तमालती रस और मुक्तापिष्टी। यह औषधियाँ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती हैं। इस चरण में 90 पुड़िया बनाई जाती हैं, जिनका सेवन शहद या गर्म पानी के साथ किया जाता है।
यह दूसरा चरण प्रथम चरण के साथ डेढ महीने चलेगा।
*तृतीय चरण : रोग का सम्पूर्ण उपचार*
तीसरे चरण में कांचनार गुग्गुल वटी, वृद्धिवाधिका वटी और पुनर्नवादि मंडूर जोङा जाता है। यह औषधियाँ कैंसर के रोगी की स्थिति को सुधारने में सहायक होती हैं। यदि रोगी गोली निगलने में असमर्थ हो, तो गोली का पाउडर करके दिया जा सकता है। कमजोरी अधिक हो तो 1 – 1 गोली दी जा सकती है। इस चरण में आयुर्वेद की शक्ति का परीक्षण एलोपैथिक जांच द्वारा किया जा सकता है।
### उपचार की विशेषताएँ और फायदे
– **प्राकृतिक औषधियाँ**: आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग की जाने वाली सभी औषधियाँ प्राकृतिक होती हैं, जो शरीर को बिना किसी दुष्प्रभाव के ठीक करने में मदद करती हैं।
– **शरीर की शुद्धि**: गोमूत्र और भुनी हल्दी जैसे उपाय शरीर को शुद्ध करने में सहायक होते हैं।
– **रोग प्रतिरोधक क्षमता**: संजीवनी वटी और अन्य औषधियाँ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होती हैं।
– **कोई दुष्प्रभाव नहीं**: आयुर्वेदिक उपचार में कोई दुष्प्रभाव नहीं होते, जिससे यह सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए सुरक्षित होता है।
### आयुर्वेदिक उपचार का महत्व
आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, जो समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने पर जोर देती है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में भी आयुर्वेदिक उपचार प्रभावी साबित हुआ है। यह उपचार न केवल रोग को ठीक करने में सहायक होता है, बल्कि भविष्य में रोग के पुनः होने की संभावना को भी कम करता है।
### निष्कर्ष
कैंसर के उपचार में आयुर्वेद का दृष्टिकोण व्यापक और प्रभावी है। हमारे वैद्य समूह द्वारा सुझाए गए ये उपचार वर्षों से सफलता पूर्वक चल रहे हैं। रोगियों को सलाह दी जाती है कि वे इन उपचारों को नियमित रूप से अपनाएं और अपने स्वास्थ्य की देखभाल करें। आयुर्वेदिक उपचार से न केवल शरीर को शुद्ध किया जा सकता है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है। यह उपचार पद्धति पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते, जिससे यह सभी के लिए सुरक्षित है।
(हम अपने आयुर्वेदिक वैद्यों के समूह में ये सभी दवाइयाँ बनाते हैं – हस्तनिर्मित। भारत और विदेशों में अपने मरीजों को रजिस्टर्ड पोस्ट पार्सल / स्पीडपोस्ट द्वारा भेजे जाते हैं। संपर्क करें व्हाट्सएप और फोन +91 98351 93062)
https://ajitayurved.in/wp-admin/post.php?post=233&action=edit
https://ajitayurved.in/wp-admin/post.php?post=401&action=edit

Leave a Reply