
सनम तू हमसे न हो बदगुमान होली में।
कि यार रखते हैं यारों का मान होली में॥
वह अपनी छोड़ दे अब ज़िद की आन होली में।
हमारे साथ तू चल महरबान होली में।
फिर तेरी घट न जावेगी शान होली में।।
कि यार रखते हैं यारों का मान होली में॥
नशे में कितने तो माशूक हैं मतवाले।
जल्वे उनके हज़ारों हैं देखने वाले॥
किसी के हाथ में शीशे किसी के हैं प्याले।
किसी ने हाथ किसी के गले में हैं डाले॥
करे हैं ऐश सभी पीने वाले होली में॥
कि यार रखते हैं यारों का मान होली में॥
कोई तो बांधे है दस्तार गुलनारी।
किसी के हाथ में है गुलाल पिचकारी॥
किसी की रंग में पोशाक ग़र्क है सारी।
किसी के गाल पे है सुर्ख़ रंग की धारी॥
अजब बहार जो ठहरी है आन होली में।।
कि यार रखते हैं यारों का मान होली में॥
तमाम शहर में हरसू मची हैं रंगरलियां।
गुलाल अबीर से गुलज़ार हैं सभी गलियां॥
कोई किसी के साथ कर रहा है अचपलियां।
गरज़ कि ज़ोर हवाएं हैं ऐश की चलियां॥
किसी को ऐश सिवा कुछ न ध्यान होली में॥
कि यार रखते हैं यारों का मान होली में॥
और कितने ऐसे हैं सूरत के उनके मतवाले।
कि उनकी आंखसे पीते हैं दम बदम प्याले॥
कहते हैं ‘हाय’ ‘हाय’ रे इन ज़ालिमों ने घर घाले।
कहीं हज़ारों व लाखों हैं देखने वाले॥
खड़े हैं सामने घेरे दुकान होली में॥
कि यार रखते हैं यारों का मान होली में॥
हज़ारों खोमचे वाले फिर हैं लालो लाल।
पुकारते हैं मिठाई है और मोंठ की दाल॥
तमोली बैठे हैं बीड़ों में अपना मुंह कर लाल।
कोई पुकारे है क्या ज़ोर है नशे रंग लाल॥
कोई नशा, कोई खाता है पान होली में॥
कि यार रखते हैं यारों का मान होली में ॥
कोई तो हुस्न में अपने कहे हैं गुलशन हूं।
कोई बहार दिखाकर कहे हैं लालन हूं॥
लुभा के दिल के और बोला कि मैं तो मोहन हूं।
कोई पुकारे है आशिक मैं बामन हूं॥
दिलाओ अब कोई बोसे का दान होली में॥
कि यार रखते हैं यारों का मान होली में॥
कोई किसी के ऊपर लाल घड़ा छुड़ाता है।
कोई गुलाल किसी के मुंह पे फेंक जाता है॥
कोई किसी के नई गालियां सुनाता है।
मुआफ़िक अपने हरेक होली को मनाता है॥
गरज़ कि दोनों ही की है आन बान होली में॥
कि यार रखते हैं यारों का मान होली में॥
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