प्रस्तावना
कामुकता को बढावा देने वाले आजकल के वातावरण में सभी प्रभावित होते हैं। परिणाम सेक्स-उत्येजना, हस्तमैथुन (hand practice), अप्राकृतिक वीर्यक्षय तथा उससे होने वाला कमजोर स्वास्थ्य। हस्तमैथुन की अधिकता और कमजोर स्वास्थ्य जैसी समस्याओं का सामना करना आम बात है, मगर आयुर्वेदिक द्वारा इनका समाधान संभव है। अगर आप भी इस तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं और अपने स्वास्थ्य में सुधार लाना चाहते हैं, तो यहाँ कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं जो आपके लिए उपयोगी हो सकते हैं।

लिवर
सबसे पहले, यह समझना महत्वपूर्ण है कि पित्त की अधिकता और कफ की कमी आपके शारीरिक संतुलन को बिगाड़ सकते हैं तथा हस्तमैथुन या स्वप्नदोष का कारण बनते हैं। यह स्थिति आपके लिवर को भी कमजोर कर सकती है। लिवर की समस्या है या नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए आप लिवर फंक्शन टेस्ट-रक्तजांच (Liver Function Test – blood test) करा सकते हैं। लिवर को ठीक करने के लिए आयुर्वेद में कुछ विशेष उपचार उपलब्ध हैं, जैसे कामलाहर क्वाथ चूर्ण और यकृदरी लौह वटी।
पेट की सफाई
लिवर फिट अब ? आयुर्वेद में पेट की सफाई का बहुत महत्व है। इसके लिए आप शास्त्रीय औषधियां एरण्ड तेल, एरण्ड पाक, पंचसकार चूर्ण या हमारा अपना फार्मूला खुलासा चूर्ण, पंचहरण चूर्ण का प्रयोग कर सकते हैं। यह आपका पाचन तंत्र सही करने में मदद करेगा और आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायक होगा।
अभ्यंग (शरीर की मालिश)
पेट की सफाई के बाद, रात में पूरे शरीर पर तेल लगाना (अभ्यंग) अनिवार्य है। गर्मी और बरसात के मौसम में नारियल तेल और सर्दी के मौसम में सरसों तेल का उपयोग करना चाहिए। यह आपके शरीर को पोषण देगा और आपको तरोताजा महसूस कराएगा।
**आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन:**
1. **चन्द्रप्रभा वटी:** इस आयुर्वेदिक दवा का ताजे पानी से सेवन करें।
2. **धातु पुष्टक चूर्ण:** अगर समस्या थोड़ी ज्यादा है, तो चन्द्रप्रभा वटी के साथ धातु पुष्टक चूर्ण का दूध के साथ सेवन करें।
3. **पूर्ण चिकित्सा:** यदि समस्या ज्यादा गंभीर है, तो त्रिबंग भस्म , प्रवाल पिष्टी, और सतावरी पाऊडर शरीर के वजन अनुसार लेकर मिश्रित करके 60 डोज/पुड़िया तैयार किया जाता है। एक पुड़िया सुबह-शाम शहद या मलाई के साथ सेवन।
यह प्राथमिक मार्गदर्शन है इस समस्या के चिकित्सा की। औषधियां और भी हैं तथा इस समस्या (हस्तमैथुन) के पहलु भी और हैं। यदि उपरोक्त प्राथमिक चिकित्सा से पूर्ण लाभ न हो तो आगे का अन्वेषण किया जाता है तथा उसके अनुसार चिकित्सा में परिवर्तन भी होता है। सप्तधातुओं (रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा तथा शुक्र पुरुष में/रज महिला में) में सबसे कीमती शुक्र का यथासम्भव संरक्षण करना शरीर के स्वास्थ्य हेतु हितकारी है।
**सुबह की दिनचर्या:**
सुबह सूर्योदय से पहले उठें और नित्यकर्म तथा स्नान करें। याद रखें बिना स्नान पानी के अलावे कुछ भी सेवन न करें। सुबह भीगे हुए चने के जल में शहद मिलाकर सेवन करें। यह चना तो सेवन हेतु ही भिंगोये थे न, लें। बेसन का हलुआ पथ्य का काम करता है, लाभदायक। यह आपको आवश्यक ऊर्जा प्रदान करेगा और आपके शरीर को पोषित करेगा।
**अतिरिक्त सुझाव:**
– **योग और प्राणायाम:** रोजाना योग और प्राणायाम करने से आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होगा। यह आपके पित्त और कफ के संतुलन को भी बनाए रखने में मदद करेगा।
– **संतुलित आहार:** अपने आहार में ताजे फल, सब्जियाँ, और पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल करें। फास्ट फूड और अत्यधिक तैलीय भोजन से बचें।
– **पर्याप्त नींद:** पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है। यह आपके शरीर को पुनःस्थापित करने में मदद करता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
इन सभी उपायों को अपनाकर आप अपने स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं। याद रखें, यह समस्याएं सामान्य हैं और इनका समाधान संभव है। अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंता न करें, बल्कि सकारात्मक कदम उठाएं और आयुर्वेदिक उपायों का सहारा लें। यदि हमारे वैद्य समूह का उच्च गुणवत्ता के हस्तनिर्मित आयुर्वेदिक औषधियां चाहें तो अवश्य सम्पर्क करें।
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