**साइनस और आयुर्वेद: प्राकृतिक उपचार की ओर एक कदम**
साइनस जिसे आयुर्वेद में “दुष्ट प्रतिश्याय” कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें नाक, माथे, गाल, और आंखों के बीच की हड्डियों में छोटी-छोटी हवा से भरी खोखली संरचनाओं में संक्रमण हो जाता है। इसके कारण बार-बार सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, भारीपन, नींद की समस्या, और पाचनतन्त्र से जुड़ी परेशानियां पैदा हो सकती हैं। यह समस्या आपके जीवन को काफी प्रभावित कर सकती है, लेकिन आयुर्वेद में इसके लिए कई प्राकृतिक उपाय उपलब्ध हैं जो न सिर्फ इसे कम करते हैं, बल्कि इसके जड़ से इलाज का दावा करते हैं।
*साइनस को आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से समझना**

आयुर्वेद में साइनसाइटिस का उपचार त्रिकटु, अभ्रक भस्म, और हरिद्राखण्ड जैसी औषधियों से किया जाता है। यह औषधियां प्राकृतिक रूप से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती हैं और साइनस में जमे कफ को बाहर निकालने में मदद करती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, साइनस की समस्या का मुख्य कारण कफ दोष का असंतुलन होता है, जिसे ठीक करने के लिए वमन कर्म, नास्य कर्म, और विरेचन कर्म जैसे शोधन क्रियाओं का सहारा लिया जाता है। इन उपचारों से शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर संतुलन स्थापित किया जाता है।
**साइनस से राहत के लिए वमन कर्म की भूमिका**
साइनसाइटिस की गंभीर स्थिति में वमन कर्म अत्यधिक लाभकारी होता है। यह प्रक्रिया कफ दोष को शांत करने और साइनस की खोखली संरचनाओं को साफ करने का कार्य करती है। वमन कर्म के दौरान, शरीर में स्नेहन (तेल लगाने) और स्वेदन (पसीना निकालने) जैसे क्रियाएं भी की जाती हैं, जो शरीर को भीतर से साफ करने में सहायक होती हैं। रोजाना 5-10 किलोमीटर तेज गति से चलने से न सिर्फ साइनस के लक्षणों में राहत मिलती है, बल्कि शरीर को अन्य स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। यदि आप इस प्रक्रिया को घर पर करना चाहते हैं, तो सुबह एक-दो लीटर गुनगुने पानी में थोड़ा सा नमक मिलाकर पिएं और फिर दो ऊंगली मुंह में डालकर उल्टी करें। इस तरह से कफ और अन्य गंदगी को बाहर निकाल सकते हैं।
**आयुर्वेदिक औषधियां: साइनस की समस्या के लिए वरदान**
नमक पानी से गरारे करना लाभदायक होता है। जल-नेती कर सकें तो और बढिया। आयुर्वेदिक औषधियां जैसे त्रिकटु, अभ्रक भस्म सहस्रपुटी, हरिद्राखण्ड, ब्योषादि वटी, चित्रकादि वटी, और त्रिभुवनकीर्ति रस साइनसाइटिस में अद्भुत लाभकारी साबित हो सकती हैं। भस्म में श्रृंग भस्म, समीर पन्नग रस। यह औषधियां शरीर के अंदर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर साइनस की समस्या को जड़ से समाप्त करने का कार्य करती हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जैसे मुलेठी, वसाका, तुलसीपत्र, काली जीरी, और बहेड़ा से बनी दवाएं भी साइनसाइटिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।
**स्वास्थ्य के लिए संयम और नियमितता**
साइनस की समस्या से निपटने के लिए केवल औषधियां ही पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए स्वस्थ जीवनशैली और संयमित दिनचर्या भी आवश्यक है। आयुर्वेद में इस बात पर जोर दिया गया है कि व्यक्ति को न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। योग और ध्यान के माध्यम से साइनसाइटिस को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही, नियमित रूप से नाक की सफाई, भाप लेना, और सही खानपान का पालन करना भी महत्वपूर्ण है।
आयुर्वेदिक उपचार न सिर्फ साइनस के लक्षणों को कम करने में मदद करता है, बल्कि इसे जड़ से खत्म करने का भी दावा करता है। यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है, जिसे अपनाकर आप अपने जीवन को फिर से स्वस्थ और खुशहाल बना सकते हैं। अगर आप साइनसाइटिस से परेशान हैं, तो आयुर्वेद की शरण में जाकर इन प्राकृतिक उपचारों को आजमाएं। साइनस से राहत पाने के लिए आयुर्वेदिक उपचारों के साथ स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना एक सही कदम हो सकता है।
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