शुगर तथा उच्च रक्तचाप – विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 42.2 करोड़ वयस्क मधुमेह (Diabetes) से पीड़ित हैं, जबकि उच्च रक्तचाप (Hypertension) दुनिया भर में लगभग 128 करोड़ वयस्कों को प्रभावित करता है। ये आंकड़े डरावने हैं, लेकिन इनसे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि ये ‘लाइफस्टाइल डिजीज’ यानी जीवनशैली जनित रोग हैं, जो हमारे दैनिक खान-पान और आदतों का सीधा परिणाम हैं। आधुनिक चिकित्सा में, इनका उपचार अक्सर जीवनभर दवाएं खाने तक सीमित है, जिनके अपने दुष्प्रभाव होते हैं।

लेकिन आयुर्वेद का दृष्टिकोण इससे भिन्न और बहुत ही समग्र है। आयुर्वेद इन्हें सिर्फ ‘बीमारी’ नहीं, बल्कि शरीर के असंतुलन का संकेत मानता है और इनके मूल कारण – हमारी जीवनशैली – को ठीक करने पर जोर देता है। आज, हमारे ‘दस दिवसीय आयुर्वेद महोत्सव’ के छठे दिन, हम जानेंगे कि कैसे आयुर्वेदिक जीवनशैली और विशिष्ट औषधियों का संयोजन मधुमेह और उच्च रक्तचाप को न केवल नियंत्रित कर सकता है, बल्कि उन्हें जड़ से खत्म करने की दिशा में भी काम कर सकता है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: मधुमेह और उच्च रक्तचाप की जड़ में क्या है?

आयुर्वेद में, मधुमेह को ‘मधुमेह‘ या ‘प्रमेह‘ कहा गया है। माना जाता है कि यह मुख्य रूप से ‘कफ‘ दोष के असंतुलन और पाचन अग्नि (मेटाबॉलिज्म) के मंद पड़ने (मंदाग्नि) के कारण होता है। इसके परिणामस्वरूप, शरीर में ‘आम‘ (विषाक्त पदार्थ) बनने लगता है, जो शरीर के channels (स्रोतस्) को अवरुद्ध कर देता है और रक्त में शर्करा के स्तर को बढ़ा देता है।

उच्च रक्तचाप, जिसे ‘रक्तगत वात‘ या ‘सिरशूल‘ के रूप में देखा जा सकता है, मुख्य रूप से ‘वात‘ और ‘रक्त‘ (blood) के दूषित होने के कारण उत्पन्न होता है। तनाव, अनुचित आहार और जीवनशैली के कारण वात दोष बिगड़ता है, जो रक्त के प्रवाह में बाधा डालकर उसका दबाव बढ़ा देता है।

एक व्यावहारिक उपचार योजना: दवाएं और जीवनशैली का समन्वय

मेरे clinical practice में, मैं एक structured protocol follow करता हूँ जो शरीर के अंदरूनी अंगों को मजबूत करने, metabolism ठीक करने और root cause को target करने पर केंद्रित है। यहाँ उस detailed treatment plan का breakdown है जिसका आपने उल्लेख किया है:

ए: मधुमेह (शुगर) नियंत्रण हेतु चिकित्सा

  • मधुना चूर्ण (Madhuna Churna): यह एक स्वानुभूत (self-formulated) मिश्रण है जो blood sugar levels को naturally regulate करने के लिए बनाया गया है। इसमें मेथी, जामुन की गुठली, करेला जैसी जड़ी-बूटियाँ शामिल हो सकती हैं जो insulin sensitivity को improve करती हैं और pancreas की function को boost करती हैं।
  • ताम्र भस्म + त्रिबंग भस्म + शोधित शिलाजीत (Tamra Bhasma + Tribang Bhasma + Shodhit Shilajit): यह त्रिकोणात्मक combination metabolism को पुनर्जीवित करने का काम करता है।

    • ताम्र भस्म (Copper Calx): Pancreatic function को stimulate करने और carbohydrate metabolism को regulate करने के लिए जाना जाता है।

    • त्रिबंग भस्म (Tin Calx): यह liver और pancreas के लिए एक tonic का काम करता है और blood purification में help करता है।

    • शोधित शिलाजीत (Purified Shilajit): एक powerful adaptogen है जो cells की insulin sensitivity को significantly improve करता है और overall energy levels को बढ़ाता है।

    इन तीनों को मिलाकर बनाई गई पुड़िया cellular level पर काम करती है।
  • आमलकी रसायन चूर्ण (Amalaki Rasayan Churna): आंवला एक supreme rejuvenator है। यह pancreas की beta cells को repair करने में help करता है, powerful antioxidant का काम करता है और immunity boost करता है।
  • चन्द्रप्रभा वटी (Chandraprabha Vati): यह classical formulation metabolism को regulate करने, frequent urination (बार-बार पेशाब आना) को control करने और overall weakness को दूर करने के लिए एक excellent medicine है।

ब: उच्च रक्तचाप नियंत्रण हेतु चिकित्सा

  • अर्जुन छाल चूर्ण + गोरखमुण्डी पंचांग चूर्ण + मुलेठी चूर्ण (Arjuna + Gorakhmundi + Mulethi): यह combination heart health के लिए अद्वितीय है।
    • अर्जुन (Terminalia arjuna): यह एक well-known cardiotonic है जो heart muscle को strengthen करता है, cholesterol levels को manage करता है और blood pressure naturally lower करता है।
    • गोरखमुण्डी (Sphaeranthus indicus): यह nervous system को calm करने और stress-induced hypertension को manage करने में मदद करती है।
    • मुलेठी (Licorice): यह अपनी anti-inflammatory properties के लिए जानी जाती है और blood vessels को relax करने में help करती है।
  • प्रभाकर वटी (Prabhakar Vati): यह विशेष रूप से heart disorders और hypertension के लिए बनाई गई है। यह heart function improve करती है और chest pain जैसे symptoms को reduce करती है।
  • सर्पगंधा वटी (Sarpagandha Vati): Indian Snakeroot से बनी यह औषधि एक potent hypotensive agent है। यह central nervous system पर काम करके blood pressure को तेजी से कम करती है और anxiety और stress को calm करती है।

सबसे महत्वपूर्ण: जीवनशैली में परिवर्तन (The Most Crucial Part: Lifestyle Modifications)

दवाएं केवल 50% काम करती हैं। बाकी 50% आपकी जीवनशैली पर निर्भर करता है।

  • आहार (Diet): जौ, चना, गेहूं का सत्तू, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, करेला, लौकी, तुरई जैसे foods को प्राथमिकता दें। चीनी, मैदा, processed foods और heavy dairy products से परहेज करें।
  • व्यायाम (Exercise): नियमित रूप से 30-45 मिनट की सैर, योगासन (जैसे भुजंगासन, पवनमुक्तासन, अर्धमatsyendrasan) और प्राणायाम (भस्त्रिका, अनुलोम-विलोम) अवश्य करें।
  • दिनचर्या (Daily Routine): सुबह जल्दी उठें, रात को जल्दी सोएं। भोजन समय पर करें और overeating से बचें।
  • तनाव प्रबंधन (Stress Management): ध्यान (meditation) और deep breathing exercises तनाव को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है।

एक वास्तविक सफलता कहानी: दवाओं से मुक्ति की ओर

श्री राजीव मेहता (नाम बदला हुआ), 58 वर्ष, 10 years से type-2 diabetes और hypertension के मरीज थे। वह metformin, gliptin और blood pressure की दो दवाएं daily ले रहे थे। फिर भी, their sugar levels uncontrolled थे और they always felt tired and lethargic.

उपरोक्त Ayurvedic protocol start किया गया। पहले month में allopathic medicines की dose gradually reduce की गई। दूसरे month के अंत तक, उन्होंने all allopathic medicines completely stop कर दीं। 4 months के अंत में, their fasting blood sugar 110 mg/dL और postprandial 140 mg/dL से नीचे maintain होने लगा, और blood pressure completely normal range (130/80 mmHg) में आ गया। सबसे बड़ी बात, उनकी tiredness and weakness completely disappear हो गई और they felt more energetic than ever before.

निष्कर्ष: एक स्थायी और दुष्प्रभाव-मुक्त मार्ग

मधुमेह और उच्च रक्तचाप के लिए आयुर्वेदिक उपचार की यह योजना इस बात का प्रमाण है कि प्रकृति-आधारित चिकित्सा सुरक्षित और स्थायी समाधान प्रदान कर सकती है। यह protocol not just suppresses the symptoms but works on the root cause – impaired metabolism and unhealthy lifestyle. key यह है कि यह transition एक experienced Ayurvedic practitioner की देखरेख में ही होनी चाहिए।

अगर आप या आपका कोई परिचित इन lifestyle diseases से जूझ रहा है और lifelong allopathic medicines के side effects से बचना चाहता है, तो आयुर्वेद का यह holistic approach एक new ray of hope प्रदान कर सकता है। सही मार्गदर्शन और discipline के साथ, natural healing संभव है।

कल पढ़िए दिन 7: “विश्व पटल पर आयुर्वेद: आयुर्वेद के प्रति बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता और WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की भूमिका पर एक लेख।”

स्रोत एवं अतिरिक्त पठन हेतु: