मर्दाना कमजोरी का उपचार आयुर्वेद में बड़ी ही सफलता के साथ किया जाता रहा है। वृहद्कामचूङामणि रस (वटी) का नाम सर्वोपरि आता है जब बात आती है सदियों से चर्चा में रहने वाले सबसे प्रभावी घोङा छाप शास्त्रीय औषधि की। यह नुस्खा स्वर्ण भस्म युक्त होता है और सदियों से चर्चा में रहने वाला यह सफल आयुर्वेदिक योग है। इसका उल्लेख हमें लगभग हर पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथ में मिलता है।
वृहद्कामचूणामणि रस (वटी) का महत्व

वृहद्कामचूणामणि रस (वटी) आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे सदियों से मर्दाना कमजोरी और अन्य यौन समस्याओं के उपचार के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। इस औषधि का महत्व इस बात से लगाया जा सकता है कि इसका उल्लेख आयुर्वेद के कई प्रसिद्ध ग्रंथों जैसे भैषज्य रत्नावली, रसतन्त्र संग्रह, और सारंगधर संहिता में किया गया है। ये सभी ग्रंथ हजारों साल पुराने हैं और आयुर्वेदिक चिकित्सा की बुनियादी नींव माने जाते हैं।
वृहद्कामचूणामणि रस (वटी) का निर्माण
वृहद्कामचूणामणि रस (वटी) का निर्माण बहुत ही विशेष और सावधानीपूर्वक किया जाता है। इसमें स्वर्ण भस्म का उपयोग होता है जो इसे और भी अधिक प्रभावी बनाता है। स्वर्ण भस्म के उपयोग से यह औषधि न केवल मर्दाना कमजोरी को दूर करती है बल्कि शरीर की सामान्य शक्ति को भी बढ़ाती है। यह औषधि किसी वैद्य द्वारा हस्तनिर्मित होती है क्योंकि सरकार ने किसी भी कम्पनी को इसका लाइसेंस नहीं दिया है। इस वजह से इसे वैद्य के पास से ही प्राप्त करना होता है।
वृहद्कामचूणामणि रस (वटी) के फायदे
- मर्दाना कमजोरी का उपचार: यह औषधि मर्दाना कमजोरी को दूर करने में अत्यधिक प्रभावी है।
- शारीरिक शक्ति में वृद्धि: इसका सेवन करने से शरीर की सामान्य शक्ति और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
- आयुर्वेदिक ग्रंथों में उल्लेख: इसका उल्लेख भैषज्य रत्नावली, रसतन्त्र संग्रह, सारंगधर संहिता जैसे कई पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथों में किया गया है।
- स्वर्ण भस्म का उपयोग: स्वर्ण भस्म के उपयोग से यह औषधि और भी अधिक प्रभावी हो जाती है।
कहां मिलेगा वृहद्कामचूणामणि रस (वटी)?
वृहद्कामचूणामणि रस (वटी) को किसी वैद्य के पास से ही प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए किसी भी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क किया जा सकता है। जैसा कि पहले बताया गया है, सरकार ने किसी भी कम्पनी को इसका लाइसेंस नहीं दिया है, इसलिए इसे किसी वैद्य द्वारा ही बनवाना होता है।
भैषज्य रत्नावली में वृहद्कामचूणामणि रस (वटी)
भैषज्य रत्नावली में वृहद्कामचूणामणि रस (वटी) का उल्लेख विशेष रूप से किया गया है। यह ग्रंथ आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है और इसमें वृहद्कामचूणामणि रस (वटी) के उपयोग और लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया है। मोती भस्म, स्वर्ण माक्षिक भस्म , स्वर्ण भस्म, कपूर, जावित्री, लौंग, बंग भस्म, चांदी भस्म, दारचीनी, इलायची, तेजपत्ता, नागकेशर – घटक द्रव्य तो ये हैं। आयुर्वेद में निर्माण विधि का बहुत महत्व है, नीचे आयुर्वेदिक ग्रन्थ भैषज्य रत्नावली के पृष्ठ का फोटो है जिसमें सब वर्णित है।
निष्कर्ष
वृहद्कामचूणामणि रस (वटी) आयुर्वेद में मर्दाना कमजोरी के उपचार के लिए एक प्रमुख औषधि है। इसका उपयोग सदियों से हो रहा है और इसके प्रभाव के कारण यह आज भी चर्चा में है। इसका निर्माण स्वर्ण भस्म से होता है और इसे किसी वैद्य से ही प्राप्त किया जा सकता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसका उल्लेख इसे और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।
अगर आप मर्दाना कमजोरी से परेशान हैं और आयुर्वेदिक उपचार की तलाश में हैं, तो वृहद्कामचूणामणि रस (वटी) एक प्रभावी और सुरक्षित विकल्प हो सकता है। इसे किसी विशेषज्ञ आयुर्वेदिक चिकित्सक से प्राप्त करें और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं।
(हम अपने आयुर्वेदिक वैद्यों के समूह में यह आयुर्वेदिक दवा वृहद्कामचूङामणि रस वटी बनाते हैं – हस्तनिर्मित। भारत और विदेशों में अपने मरीजों को रजिस्टर्ड पोस्ट पार्सल / स्पीडपोस्ट द्वारा भेजे जाते हैं। संपर्क करें व्हाट्सएप और फोन +91 98351 93062)

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