विटामिन बी12 की कमी आजकल एक आम समस्या बनती जा रही है, और आयुर्वेद में इस कमी को दूर करने के कई प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं। हालांकि, पौधों में विटामिन बी12 की मात्रा काफी कम होती है, लेकिन कुछ विशेष आहार और आयुर्वेदिक उपाय इस कमी को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
## विटामिन बी12 की कमी के लक्षण
यदि आपके शरीर में विटामिन बी12 की कमी है, तो कुछ सामान्य लक्षण दिख सकते हैं:
– त्वचा का पीलापन
– जीभ में दाने या लालिमा
– मुंह में छाले
– आंखों की रोशनी में कमी
– डिप्रेशन, कमजोरी और सुस्ती
– सांस फूलना, सिर दर्द और कानों में आवाजें सुनाई देना
– भूख की कमी
यदि समय पर विटामिन बी12 की कमी को पूरा नहीं किया गया, तो यह पर्निशियस एनीमिया (रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी) और तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ियों का कारण बन सकता है।
### आयुर्वेदिक उपाय और आहार सुझाव
आयुर्वेद के अनुसार, कुछ प्राकृतिक उपाय और आहार विटामिन बी12 की कमी को पूरा करने में सहायक हो सकते हैं:
1. **केला:** प्रतिदिन एक से दो केले का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है, हालांकि इसमें विटामिन बी12 की मात्रा कम होती है, लेकिन यह अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
2. **पालक और अन्य हरी सब्जियां:** पालक, चुकंदर, आलू, और मशरूम जैसी सब्जियों का सेवन भी विटामिन बी12 के लिए किया जा सकता है। हालांकि, इनमें इसकी मात्रा बहुत कम होती है, फिर भी ये सब्जियां आपके आहार में विविधता लाती हैं।
3. **पशु उत्पाद:** विटामिन बी12 का सबसे अच्छा स्रोत अंडे, मछली, और चिकन जैसे पशु उत्पाद हैं। घी, जो एक पशु उत्पाद है, भी विटामिन बी12 का अच्छा स्रोत है। आयुर्वेद मांसाहार से पूर्ण रूप से मना नहीं करता, बल्कि इसे स्वास्थ्य की दृष्टि से सही मात्रा में सेवन करने की सलाह देता है।
4. **आयुर्वेदिक दवाएं:** चन्द्रसूर, कालमेघ (महासुदर्शन चूर्ण), पुनर्नवा मंडूर, और व्हीटग्रास पाउडर जैसे आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन विटामिन बी12 की कमी को दूर करने में सहायक हो सकता है। ये प्राकृतिक उपाय शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने में कारगर हैं।

### अतिरिक्त जानकारी और सुझाव
विटामिन बी12 की कमी को कोबालामिन की कमी भी कहा जाता है, क्योंकि यह कोबाल्ट का एक यौगिक है। यह कमी ज्यादातर उन लोगों में देखी जाती है जो पूरी तरह से शाकाहारी होते हैं। इसलिए, यदि आप शाकाहारी हैं, तो आपको अपने आहार में आयुर्वेदिक उपायों को शामिल करने पर विचार करना चाहिए।
महासुदर्शन चूर्ण मुख्यतः मलेरिया की दवा है। इसके घटक द्रव्यों में है आंवला, हरड़, बहेड़ा ,हल्दी ,दारू हल्दी ,छोटी कटेरी ,बड़ी कटेरी कचूर, सोंठ, काली मिर्च ,पीपल, पीपरामूल और कालमेघ। शास्त्रीय दवा है अतः कई बीमारियों में काम करता है। भूख बढाना भी इसका एक मुख्य काम है जो यहां लक्षणों में शामिल है।
पुनर्नवा मण्डूर का उपयोग मुख्यतः सूजन कम करने में होता है। वैसे मण्डूर भस्म के कारण यह शरीर में रक्त, हेमोग्लोबिन भी बढाता है। शरीर में रक्त की कमी सूजन का एक मुख्य वजह है। विटामिन बी 12 की कमी से भी रक्त की कमी अर्थात एनीमिया होता है। जितने भी एलोपैथिक रक्तवर्धक हैं सभी में विटामिन बी 12 अवश्य रहता है पर कृत्रिम रूप में यानि साइनोकोबालामिन रहता है।
चन्द्रसूर या चमसूर में फाइबर, मिनरल्स और विटामिन्स का भंडार है। यही वजह है कि यह सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता हैं। चमसुर गर्म तासीर की जड़ी बूटी है, इसलिए इसका प्रयोग सर्दियों के समय किया जाना बेहतर है। इसका सेवन शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को भी दूर करता है। यह विटामिन बी 12 का एक अच्छा शाकाहारी श्रोत है।
साथ ही, अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाना भी जरूरी है।
अंततः, विटामिन बी12 की कमी को दूर करने के लिए केवल आहार पर निर्भर न रहें, बल्कि आयुर्वेदिक परामर्श और प्राकृतिक उपचारों का भी सहारा लें। सही आहार और आयुर्वेदिक उपायों के साथ आप इस कमी से बच सकते हैं और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
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