लकवा (तुरंत की चिकित्सा सहित)

जब किसी इंसान के किसी अंग के नसों में ब्लोकेज होता है। मतलब जब उस जगह खून का थक्का जम जाता है तब खून का प्रवाह उस जगह बंद हो जाता है। तब दिमाग उस अंग को कंट्रोल नहीं कर पाता। जिस कारण से मरीज चाह कर भी उस अंग को हिला-डुला नहीं पाता। यहाँ तक की उस अंग में उन्हें कुछ भी महसूस नहीं होता। लेकिन जब किसी इंसान को यह अटैक आता है तो अस्पताल जाने में थोड़ा समय लग सकता है। तो उस दौरान रास्ते में इस उपाय को आजमायें –

लकवा मारने पर तुरंत करे यह आसान उपाय
जब किसी को लकवा मारे तो तुरंत उन्हें लहसुन और शहद को मिलाकर खिलाये|फिर हर 4 – 6 घण्ट पर यह देते रहें।
साथ ही हल्का गर्म करके 100 ग्राम तिल का तेल पिलायें। इसके अलावा प्रभावित अंग पर तिल के तेल में लहसुन की कुछ कली डालकर पकाकर तथा इसमें अच्छी गुणवत्ता वाली हींग घिस कर उस अंग का इस तेल से मालिश करे। फिर नाभी में यह तेल भर कर चित्त लिटा दें। एनिमा यंत्र लाकर ऐनिमा दें। दस्त हुआ तो उसके बाद नीचे वर्णित पक्षाघात-नाशिनी महायोग दें। कब्ज हरगिज न बने – एरण्ड तेल, सिंहनाद गुग्गुल का नीचे वर्णित विधि से सेवन करा सकते हैं। लगभग एक हफ्ते में रोगी फिट हो जायेगा।


लकवा में भोजन – नारियल पानी, मछली, अलसी, मूली, chicken soup, दाल, सेंधा नमक, धूप में एक घण्टा रहें।
परहेज – नींबू, अचार, टमाटर, इमली।


लकवा में पहले महीने की चिकित्सा –
यदि तुरंत वाला उपरोक्त उपाय छूट गया तो सबसे पहले एरण्ड तेल दस एम एल हल्के गर्म दूध में फेंट कर रात में भोजन के बाद सेवन करें। जब दस्त आरम्भ हो जाये तो एरण्ड बन्द तथा सिंहनाद गुग्गुल वटी का सेवन आरम्भ। अब सन बीज के काढा का सुबह-शाम सेवन भी आरम्भ होगा। साथ ही किसी वैद्य की निगरानी में समीर पन्नग रस का सेवन भी करें।
याद रखें पहला महीना सफाई का – पेट तथा शरीर में जमा कफ की सफाई।

लकवा की मुख्य चिकित्सा – पक्षाघात नाशिनी महायोग

एकांगवीर रस 6 ग्राम, खंजनकारी रस 2 ग्राम, योगेन्द्र रस 2 ग्राम, रसराज रस 2 ग्राम, वृहत वात चिंतामणि रस 3 ग्राम।

सभी को अच्छी तरह खूब घुटाई करें।  मिलाकर 250mg के हिसाब से 60 पुड़िया बना लें। आपकी दवा तैयार है।‌

सुबह -शाम शहद या मलाई से खाली पेट एक-एक पुड़िया चाटकर ऊपर से दूध पी लें।

कब्ज दूर करके ही यह दवा शुरू करें – एरण्ड तेल, सिंहनाद गुग्गुल के सहयोग से।

नोट :- अगर अन्य कोई रोग ओर है तो उपरोक्त नुस्खे में तब्दीली की जा सकती है या इसी नुस्खे के साथ कोई और औषधि मिलाई जा सकती है रोगानुसार।

लकवा की मुख्य दवा 2 से 3 महीने ही चलानी चाहिये।  फिर उच्च रक्तचाप नियंत्रित रखना, योग, अभ्यंग (तेल लगाना) द्वारा शरीर के लचीलापन को कायम रखना मुख्य ध्येय है।

लकवे के मरीज को ठीक करना है तो सबसे ज्यादा जिम्मेदारी घर वालों का है।

इसमें एक दिन का लापरवाही मरीज को पीछे खड़ा कर देता हैं।

20 TF जरूर दे। यानि मरीज के हाथ पैर और उंगलियो के अग्र भाग यानि नाख़ून के पास वाले top front point को अवश्य 20 बार दबाए।

दुसरा इन मरीज के काफ-मसल्स यानि पिंडली को तेल से खूब मालिश करे।इतना मालिश होना चाहिए कि पिंडली टाइट ना रहे।एकदम मुलायम लूज रहना चाहिए।इसलिए रोज इस भाग का दिन में 3 बार मालिश अवश्य करे।

इस मरीज को पंचगब्य अवश्य दे।एक कोटरी के मात्रा में।

उपले का भस्म भी जरूर दें, आधा चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी से सेवन करायें।

विशेष ध्यान इनके कब्ज पर देना है।पेट साफ़ रहना चाहिए।पेट गड़बड़ होते ही मरीज मानसिक रूप से भी दिक्कत में आ जाता है। सबसे बढिया दो चम्मच एरण्ड तेल हल्के गर्म दूध में फेंट कर पिलाना, रात में भोजन के आधे घण्टे बाद।



Comments

2 responses to “लकवा (तुरंत की चिकित्सा सहित)”

  1. Shivnath Das Avatar
    Shivnath Das

    Tata Namak ( Sodium Chloride brand. Or any other brand too will work) dissolved in one glass of water and drink immediately after brain stroke. T
    omments please.

    1. You heard rightly. This really works. Just see that BP is not too high, if so give Sendhaw namak.

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