विश्व मलेरिया दिवस 25 अप्रैल: चुनौतियाँ और सम्भावनाएँ

एक रोकी जा सकने वाली बीमारी – मलेरिया। 
विश्व मलेरिया दिवस (25 अप्रैल) का उद्देश्य मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है, जो आज भी भारत समेत दुनिया के 85+ देशों में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। 2022 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में मलेरिया के **3.4 मिलियन केस** दर्ज किए गए, जिनमें से **93%** झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पूर्वोत्तर राज्यों से थे। यह लेख भारत के संदर्भ में मलेरिया की स्थिति, इसके कारण, उपचार और भविष्य की रणनीतियों को समझने में मदद करेगा।

### 1. भारत में मलेरिया-ग्रस्त क्षेत्र: झारखंड की विषम परिस्थितियाँ 

भारत में मलेरिया का प्रकोप मुख्य रूप से **ग्रामीण, वन-आच्छादित और आदिवासी क्षेत्रों** में है। झारखंड में स्थिति विशेष चिंताजनक है: 
– **2023 के आँकड़ों** के अनुसार, राज्य में 12% मलेरिया मामले *प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम* (सबसे घातक प्रजाति) से संबंधित थे। 
– **कारण**: जलजमाव, खुले कुंडों में मच्छर प्रजनन, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, और जागरूकता का अभाव। 
– **उदाहरण**: पलामू और गढ़वा ज़िले में मलेरिया के मामले राज्य के 40% हैं, जहाँ आदिवासी समुदायों तक दवाइयों की पहुँच सीमित है।

### 2. मच्छर: छोटा कीट, बड़ा खतरा 

मलेरिया मच्छरों से फैलता है, यह महत्वपूर्ण खोज ब्रिटिश चिकित्सक सर रोनाल्ड रॉस ने की थी। 1897 में भारत में शोध करते हुए, उन्होंने पुष्टि की कि अनोफिलीज मच्छर प्लाज़्मोडियम परजीवी का वाहक है, जो मलेरिया का कारण बनता है। यह खोज महामारी के प्रसार को रोकने के लिए मच्छर नियंत्रण के उपायों का आधार बनी। इस योगदान के लिए रॉस को 1902 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। उनका कार्य सार्वजनिक स्वास्थ्य में क्रांतिकारी साबित हुआ।

यह भारतवर्ष के गुलामी के दिन थे तथा क्लिनिकल ट्रायल कानून जैसा कुछ भी नहीं था। शोध के लिये लोगों को मच्छर से कटा कर मलेरिया-ग्रस्त होने के आठ आना (अभी का शायद 5000 रुपये) मिलते थे।

मलेरिया का कारण *प्लाज्मोडियम* परजीवी है, जो **मादा एनोफिलीज मच्छर** के काटने से फैलता है। 
– **तथ्य**: सिर्फ मादा मच्छर ही खून चूसती है और संक्रमण फैलाती है। 
– **संक्रमण चक्र**: मच्छर → मानव लीवर → रक्त कोशिकाएँ → लक्षण (बुखार, ठंड लगना)। 
– **भारत में प्रमुख प्रजातियाँ**: *एनोफिलीज क्यूलिसिफेसीज़* और *एनोफिलीज स्टेफेंसी*।

## 3. मलेरिया के पाँच प्रकार और उपचार 

मलेरिया के पाँच प्रमुख प्रजातियाँ हैं, लेकिन भारत में दो ही प्रमुख हैं: 
1. **प्लाज्मोडियम विवैक्स (P. vivax)**: 60% मामले। इसमें लीवर में निष्क्रिय परजीवी रह सकते हैं, जिससे बार-बार बुखार आता है। 
2. **प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (P. falciparum)**: 40% मामले, लेकिन 90% मौतों का कारण। 
**चिकित्सा**: 
– *विवैक्स*: क्लोरोक्वीन + प्राइमाक्वीन (लीवर स्टेज के लिए)। 
– *फाल्सीपेरम*: आर्टिमिसिनिन-आधारित संयोजन चिकित्सा (ACTs)। 
– **नई चुनौती**: उत्तर-पूर्वी राज्यों में दवा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है।

### 4. DDT: वरदान से अभिशाप तक 

**खोज**: 1939 में पॉल हरमन म्यूलर ने की। 
– **उपयोग**: 1950-70 के दशक में भारत सहित दुनिया भर में मलेरिया नियंत्रण के लिए DDT का छिड़काव हुआ, जिससे मामले 75% कम हुए। 
– **प्रतिबंध**: 2001 के स्टॉकहोम कन्वेंशन के तहत DDT को पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना गया। 
– **भारत की स्थिति**: DDT का सीमित उपयोग अभी भी कुछ राज्यों में होता है, लेकिन इसके विकल्प (जैसे साइपरमेथ्रिन) को प्राथमिकता दी जा रही है।

## 5. WHO की भूमिका: वैश्विक से स्थानीय स्तर तक 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का ग्लोबल मलेरिया प्रोग्राम मलेरिया के नियंत्रण और उन्मूलन के लिए वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व करता है। यह कीटनाशक-युक्त मच्छरदानी वितरण, प्रभावी दवाओं की उपलब्धता, और जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित है। कार्यक्रम स्थानीय सरकारों, NGOs और शोध संस्थानों के साथ मिलकर मलेरिया से होने वाली मृत्यु दर और रोग प्रसार को कम करने का लक्ष्य रखता है, खासकर उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में बच्चों और गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा हेतु।


### 6. सामुदायिक पहल और नवाचार: स्थानीय समाधानों की शक्ति 

भारत के मलेरिया-ग्रस्त क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों ने रचनात्मक तरीकों से बीमारी से लड़ाई शुरू की है। झारखंड के लातेहार ज़िले में आदिवासी महिलाओं ने **”मच्छर पकड़ो अभियान”** चलाया, जिसमें नीम की पत्तियों और गोबर का इस्तेमाल कर मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट किया गया। इससे 2022 में मलेरिया के मामलों में 30% की कमी आई। 
– **पारंपरिक ज्ञान**: कई गाँवों में लोग गुड़हल के पौधे लगाते हैं, जो मच्छरों को दूर भगाते हैं। 
– **युवाओं की भूमिका**: छत्तीसगढ़ में युवा स्वयंसेवकों ने मोबाइल ऐप के ज़रिए मलेरिया केसों की रियल-टाइम रिपोर्टिंग शुरू की, जिससे उपचार में तेज़ी आई। 


### 7. सफलता की और कहानियाँ:

केरल और तमिलनाडु के मॉडल 
– **केरल**: 2023 में राज्य ने मलेरिया केसों में 95% कमी की। यहाँ “हर घर जागरूकता दल” और स्थानीय निकायों की सक्रिय भागीदारी ने मच्छर प्रजनन स्थलों की पहचान में मदद की। 
– **तमिलनाडु**: शहरी इलाकों में “फॉगिंग ड्रोन” और जैव-नियंत्रण विधियों (जैसे गम्बूसिया मछली) के उपयोग से मलेरिया पर नियंत्रण हासिल किया गया। 

###8 आयुर्वेद का योगदान:

मलेरिया नियंत्रण में आयुर्वेद का योगदान पारंपरिक ज्ञान और प्राकृतिक उपचार पर आधारित है। नीम, गिलोय, तुलसी और कुटकी जैसी जड़ी-बूटियों में एंटी-प्लाज्मोडियल गुण पाए गए हैं, जो मलेरिया के लक्षणों को कम करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक हैं। आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन जैसे *महासुदर्शन चूर्ण, कसीस गोदन्ती भस्म, गिलोय घनवटी  बुखार और संक्रमण से लड़ते हैं। ICMR के अनुसार, नीम का धुआँ मच्छर भगाने में प्रभावी है, जो रोकथाम में मदद करता है। आयुर्वेद का समन्वित उपयोग मलेरिया प्रबंधन को समग्र बना सकता है।

### 9. भविष्य की तकनीक:

अनुसंधान और नवाचार 
– **जीन-एडिटिंग**: आईआईएससी बेंगलुरु ने CRISPR तकनीक से एनोफिलीज मच्छरों के जीन में बदलाव कर उनकी संक्रमण क्षमता कम करने पर शोध शुरू किया है। 
– **नई दवाएँ**: आईसीएमआर ने “एंटी-मलेरिया नैनो-पार्टिकल्स” विकसित किए हैं, जो परजीवी को रक्त कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकते हैं। 


### 9. पाठकों से अपील:

आप भी बनें जागरूकता के दूत 
मलेरिया से लड़ाई में आम नागरिक की भूमिका अहम है: 
– **5 सूत्रीय सहयोग**: 
  1. घर के आसपास पानी जमा न होने दें। 
  2. मच्छरदानी का नियमित उपयोग करें। 
  3. बुखार आने पर तुरंत RDT टेस्ट कराएँ। 
  4. स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में मलेरिया रिपोर्ट दर्ज करवाएँ। 
  5. समुदाय में जागरूकता फैलाने के लिए युवाओं को प्रेरित करें। 

**उदाहरण**: राजस्थान के बाड़मेर में एक स्कूली छात्रा, प्रियंका शर्मा, ने “मच्छर भगाओ पेंटिंग प्रतियोगिता” आयोजित की, जिसमें 500 बच्चों ने भाग लिया। 

### अंतिम शब्द:

एक ऐतिहासिक संकल्प की ओर 
मलेरिया न केवल एक बीमारी है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विषमताओं का प्रतीक है। इससे मुक्ति का मतलब है – गरीब की ज़िंदगी बचाना, बच्चों का भविष्य संवारना, और देश की उत्पादकता बढ़ाना।”स्वास्थ्य ही वास्तविक धन है, सोने-चाँदी के टुकड़े नहीं।”

आइए, विश्व मलेरिया दिवस पर हम सब यह प्रण लें कि अपने घर, गाँव और शहर को मच्छरमुक्त बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। क्योंकि एक स्वस्थ भारत ही समृद्ध भारत की नींव है। 

**सम्पूर्ण लेख के सन्दर्भ**: 

1. WHO: World Malaria Report 2023 
2. NVBDCP: National Framework for Malaria Elimination 2016-2030 
3. ICMR: शोध पत्र, “मलेरिया प्रतिरोधक क्षमता पर भारतीय अध्ययन” (2022) 
4. केस स्टडी: झारखंड स्वास्थ्य विभाग, ओडिशा मलेरिया नियंत्रण प्राधिकरण

🩺 *”सतर्कता ही सुरक्षा है। मलेरिया से बचाव, हर नागरिक का अधिकार।”* 🇮🇳 


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