भांग का नशा कितने घंटे तक रहता है !

भांग/गांजा/कैनबिस/विजया का चमत्कार : वर्ष 1914, जब प्रथम विश्व युद्ध का आरंभ हुआ, उसी समय वैश्विक स्तर पर गांजा को प्रतिबंधित करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई। आज, लगभग एक सदी बाद, यह सोचने का समय है कि क्या यह निर्णय उचित था? गांजा, जिसे हम भांग के नाम से भी जानते हैं, एक ऐसा पौधा है जिसे प्रकृति ने हमें बहुमूल्य उपहार के रूप में दिया था, और इसे पूरी तरह से समझने की आवश्यकता है।

**भांग की पर्यावरणीय क्षमताएं**

भांग को दुनिया में कहीं भी उगाया जा सकता है और इसके लिए बहुत कम पानी की जरूरत होती है। इसमें कीड़े नहीं लगते इसलिए इसे कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होती है।
गांजा 4 महीने में उगता है, पेड़ 20-50 साल में। भांग का एक एकड़ खेत 25 एकड़ जंगल के बराबर ऑक्सीजन पैदा कर सकता है। यह आंकड़ा न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि यदि हम भांग की खेती को बढ़ावा दें, तो हम वनों की कटाई को रोकने में कितनी मदद कर सकते हैं। कागज उत्पादन के लिए जहां 4 एकड़ पेड़ों की जरूरत होती है, वहीं एक एकड़ भांग ही पर्याप्त है। इसके अतिरिक्त, भांग से कागज उत्पादन में अधिक बार पुनः प्रयोग किया जा सकता है, जबकि लकड़ी से बने कागज में यह संभव नहीं है।

**गांजा और औद्योगिक संभावनाएं**

भांग का पौधा सिर्फ कागज उत्पादन तक ही सीमित नहीं है। यह एक ऐसा पौधा है जिसे विभिन्न औद्योगिक उपयोगों में भी प्रयोग किया जा सकता है। गांजा से बने कपड़े, रस्सियां, डोरियां, बैग, जूते, और टोपी केवल कुछ उदाहरण हैं। पहली जींस भांग से बनी थी; यहां तक ​​​​कि कैनबिस से बना “कानवास” शब्द भी भांग उत्पादों को दिया गया नाम है। जब हम इस पौधे के औद्योगिक उपयोगों को देखते हैं, तो यह स्पष्ट होता है कि भांग एक सशक्त और टिकाऊ संसाधन हो सकता है। भांग के पौधे से बनने वाले कपड़े न केवल टिकाऊ होते हैं, बल्कि कीटनाशकों की जरूरत भी नहीं होती, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव भी कम होता है। अगर भांग से बने कपड़े व्यापक हो जाते हैं, तो कीटनाशक उद्योग पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।

**भांग के स्वास्थ्य लाभ**

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी भांग का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। इसका उपयोग एड्स, कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी और विकिरण के प्रभाव को कम करने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, गठिया, हृदय रोग, मिर्गी, अस्थमा, अनिद्रा, और मनोवैज्ञानिक रोगों के उपचार में भी भांग का उपयोग होता है। भांग के बीज का प्रोटीन मूल्य अत्यधिक होता है और इसमें दो विशेष फैटी एसिड पाए जाते हैं जो अन्यत्र दुर्लभ होते हैं। इसके अलावा, जिन जानवरों को भांग खिलाया जाता है, उन्हें हार्मोनल सप्लीमेंट की जरूरत नहीं होती, जिससे प्राकृतिक पोषण सुनिश्चित होता है।

**भांग और पर्यावरणीय चुनौतियाँ**

आज, जब पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहे हैं, भांग का पुनरावलोकन आवश्यक हो गया है। प्लास्टिक कचरे से धरती को हो रही हानि को देखते हुए, हमें वैकल्पिक समाधानों की आवश्यकता है। भांग से बने प्लास्टिक उत्पाद न केवल टिकाऊ होते हैं, बल्कि आसानी से प्रकृति में वापस भी आते हैं। इसके अलावा, इमारतों के इन्सुलेशन के लिए भांग का उपयोग किया जा सकता है, जो न केवल सस्ता होता है बल्कि टिकाऊ भी है। भांग से बने साबुन और सौंदर्य प्रसाधन भी पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होते, जो इसे एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प बनाता है।

**इतिहास की गलतियाँ और वर्तमान की सच्चाई**

इतिहास में एक समय था जब अमेरिका में भांग का उत्पादन अनिवार्य था, और गैर-उत्पादक किसानों को बंद कर दिया जाता था। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। यह परिवर्तन कहाँ से आया? इसका उत्तर 20वीं सदी के आरंभिक दिनों में मिलता है, जब कुछ उद्योगपतियों ने अपने स्वार्थ के लिए भांग को प्रतिबंधित करने की साजिश रची। डब्ल्यू. आर. हर्स्ट, जो अमेरिका के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के मालिक थे, ने अपने जंगलों और कागज उद्योग को बचाने के लिए भांग को प्रतिबंधित करने का समर्थन किया। वहीं, रॉकफेलर, जो जैव ईंधन का विरोध करते थे, ने भी इस साजिश का समर्थन किया। मेलन, जो ड्यूपॉन्ट के प्रमुख शेयरधारक थे, और जिनके पास पेट्रोलियम उत्पादों से प्लास्टिक बनाने का पेटेंट था, ने भी भांग उद्योग को खतरे में देखा।

इन उद्योगपतियों ने मिलकर भांग को एक दुश्मन के रूप में प्रचारित किया और उसे मारिजुआना नाम देकर एक जहरीली दवा के रूप में बदनाम किया। इसके परिणामस्वरूप, भांग की औषधियों को बाजार से हटा दिया गया और उनकी जगह आज इस्तेमाल होने वाली रासायनिक दवाओं ने ले ली।

**भविष्य की दिशा**

आज, जब हम पर्यावरणीय चुनौतियों और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, भांग का पुनर्स्थापना अनिवार्य हो गया है। इसके लिए जागरूकता फैलाने और आंदोलन करने की आवश्यकता है, ताकि हम इस बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन को पुनः अपनाकर न केवल अपने पर्यावरण को बचा सकें बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सुधार ला सकें। अब समय आ गया है कि हम भांग के प्रति अपनी मानसिकता को बदलें और इसे एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें।

इस परिवर्तन का सबसे बड़ा लाभ न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से होगा, बल्कि यह आर्थिक और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। क्या हम भांग के पुनरावलोकन के लिए तैयार हैं? यह सवाल आज हम सभी को खुद से पूछना चाहिए।

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Comments

2 responses to “भांग का नशा कितने घंटे तक रहता है !”

  1. किन राज्यों में इसकी खेती कानूनन मान्य हैं ?

    1. गूगल पर ढूंढें न।

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