**अधिक पाद (Flatulence) आना – एक सामान्य लेकिन अनदेखी समस्या!**
आज की तेज़ रफ़्तार जिंदगी में हममें से कई लोग पेट से जुड़ी समस्याओं को हल्के में ले लेते हैं, लेकिन जब पेट फूलने लगे और बार-बार गैस बनने लगे, तो यह ध्यान देने योग्य संकेत हो सकता है। अधिक पाद आना या बार-बार गैस निकलना (Flatulence) केवल एक असुविधाजनक स्थिति ही नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है। विशेषकर, मधुमेह (Diabetes) के रोगियों में यह समस्या ज्यादा पाई जाती है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। गैस निकलना बंद हो जाना और पेट का फूलना (Bloating) जैसे लक्षण पेट के अंदर किसी गड़बड़ी की ओर संकेत करते हैं।

**मधुमेह रोगियों में फ्लैट्यूलेंस: क्यों होती है यह समस्या?**
मधुमेह के मरीजों में फ्लैट्यूलेंस या अधिक गैस बनने की समस्या सामान्य होती है। इसका कारण यह है कि मधुमेह के कारण पाचन तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जब पेट में मौजूद खाद्य पदार्थ ठीक से पचते नहीं हैं, तो वे पेट में सड़ने लगते हैं, जिससे बदबूदार गैस बनने लगती है। अगर गैस के साथ-साथ पेट फूलने की समस्या भी हो रही है, तो यह आपके लिए खतरे का संकेत हो सकता है। मधुमेह के कारण पाचन तंत्र में सुस्ती आ जाती है, जिससे गैस अधिक बनती है और पेट में दर्द और असुविधा होती है।
**उम्र के साथ बढ़ती पेट की समस्याएं**
सिर्फ मधुमेह के मरीज ही नहीं, बल्कि 50 साल से अधिक उम्र के लोग भी फ्लैट्यूलेंस की समस्या से परेशान रहते हैं। उम्र बढ़ने के साथ शरीर के पाचन तंत्र की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिससे गैस बनने की समस्या बढ़ जाती है। इसलिए, अगर आपको छः महीने या उससे अधिक समय से अधिक पाद आ रहा है, तो इसे हल्के में न लें। यह एक गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। दिवर्टिकुलम (Diverticulum), इर्रिटेटिव बाउल सिंड्रोम (IBS), और अद्यमान (Adyaman) जैसी स्थितियां भी फ्लैट्यूलेंस की मुख्य वजहें हो सकती हैं।
**आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से गैस की समस्या का समाधान**
आयुर्वेद में, गैस की समस्या का इलाज थोड़ा समय ले सकता है, क्योंकि यह कई कारणों से हो सकता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, यदि आपकी गैस में बदबू आ रही है, तो इसका मतलब है कि पेट में खाद्य पदार्थ सड़ रहे हैं, और यह स्थिति तुरंत ध्यान देने योग्य है। ऐसे मामलों में, आयुर्वेदिक चिकित्सा थोड़ी लम्बी हो सकती है, लेकिन यह सुरक्षित और प्रभावी होती है।
यदि गैस में बदबू नहीं है या बहुत कम है, तो आप कुछ सरल और प्रभावी आयुर्वेदिक उपायों का सहारा ले सकते हैं। शिलाजीत भस्म और हिंगवाष्टक चूर्ण का संयोजन इस समस्या के लिए बहुत ही लाभदायक साबित हो सकता है।
**आयुर्वेदिक उपचार: सरल और प्रभावी**
शिलाजीत भस्म डेढ़ रत्ती (लगभग 187 मिलीग्राम) और हिंगवाष्टक चूर्ण डेढ़ रत्ती को ताजे पानी के साथ दोपहर और रात के भोजन से पहले लेने की सलाह दी जाती है। इसे भोजन के 10 मिनट पहले लेने से पाचन में सुधार होता है और गैस की समस्या में कमी आती है। शिलाजीत भस्म पाचन तंत्र को मज़बूत करता है और हिंगवाष्टक चूर्ण गैस को नियंत्रित करने में मदद करता है। इन दोनों का संयोजन न केवल गैस की समस्या को दूर करता है, बल्कि पाचन तंत्र को भी सशक्त बनाता है।
**क्या कहता है विज्ञान?**
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करता है कि गैस की समस्या पाचन तंत्र की गड़बड़ी का संकेत हो सकती है। हाल ही में हुए शोध से पता चला है कि जिन लोगों के पाचन तंत्र में गड़बड़ी होती है, उनमें गैस, अपच, और पेट फूलने जैसी समस्याएं ज्यादा होती हैं। इसलिए, इस समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। सही समय पर चिकित्सा और सही आहार के साथ आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
**सुझाव**
अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं, तो अपने आहार पर विशेष ध्यान दें। भारी और तली-भुनी चीज़ों का सेवन कम करें, और फाइबर युक्त आहार को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इसके अलावा, आयुर्वेदिक उपचार का सहारा लेकर आप इस समस्या को जड़ से खत्म कर सकते हैं।
इस प्रकार, अगर आप समय पर कदम उठाते हैं और अपनी दिनचर्या में कुछ छोटे-छोटे बदलाव करते हैं, तो आप फ्लैट्यूलेंस जैसी समस्याओं से आसानी से निजात पा सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
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