आज की डिजिटल जीवनशैली में, नेत्रज्योति का कम होना एक आम समस्या बन गई है। विशेष रूप से 40 की उम्र के बाद, जब Presbyopia यानि ‘बूढ़ी आँख’ की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति आँखों के लेंस के कठोर और कम लचीला होने के कारण उत्पन्न होती है, जिससे पढ़ने में दिक्कत होती है। हालाँकि, आयुर्वेद में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जो आपकी नेत्रज्योति बढाने (Eyesight Improvement) और चश्मे से बचाव में सहायक हो सकते हैं।
यहाँ महर्षि वाग्भट्ट के अष्टांग हृदय ग्रंथ से प्रेरित 6 सरल आयुर्वेदिक उपाय प्रस्तुत हैं। इनका पालन करना न केवल आसान है बल्कि बेहद प्रभावी भी है।

1. आँखों को धोना
दिनभर में आँखों को सामान्य पानी से धोते रहना चाहिए। यह आपकी आँखों को धूल, प्रदूषण और थकान से बचाता है। कम से कम 10-12 बार आँखों को धोने की आदत डालें। अगर संभव हो, तो गुलाब जल की कुछ बूंदें आँखों में डालने से ताजगी महसूस होती है।
2. तेल मालिश
रात को सोने से पहले पैरों के तलवों पर सरसों का तेल हल्का गर्म करके मालिश करें। इसके साथ ही नाभि में सरसों का तेल या शुद्ध घी लगाना भी लाभदायक है। यह उपाय आँखों की थकान को दूर कर उनकी कार्यक्षमता बढ़ाता है।
3. लार का लेप
सुबह उठने पर, बिना कुल्ला किए बासी लार को आँखों में काजल की तरह लगाएं। आयुर्वेद के अनुसार, यह उपाय आँखों को प्राकृतिक रूप से पोषण देता है और उनकी रोशनी को बनाए रखने में मदद करता है।
4. पौष्टिक आहार
आँखों की सेहत के लिए आहार का विशेष महत्व है। निम्न खाद्य पदार्थ को अपने आहार में शामिल करें:
गाजर: इसमें मौजूद बीटा-कैरोटीन आँखों के लिए फायदेमंद होता है।
पका पपीता और संतरा: ये विटामिन C और A से भरपूर हैं।
हरी पत्तेदार सब्जियाँ: जैसे पालक और मेथी।
मछली: खासकर ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर।
तीसी: इसे नियमित रूप से लेने से आँखों की कोशिकाओं को पोषण मिलता है।
ध्यान रखें कि फल और सब्जियों का सेवन सुबह या भोजन से दो घंटे पहले करें।
5. आँखों का व्यायाम
आँखों की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए व्यायाम करें:
आँखों की पुतली को ऊपर-नीचे और दाएँ-बाएँ घुमाएँ।
हर 20 मिनट पर स्क्रीन से नज़र हटाकर 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें (20-20-20 नियम)।
गोल घुमाव वाले व्यायाम भी आँखों को आराम देने में मदद करते हैं।
6. आयुर्वेदिक दवाएँ
आयुर्वेदिक शास्त्रों में नेत्रज्योति को बढ़ाने वाली कई प्रभावी दवाओं का उल्लेख है। इनमें मुख्यतः:
सप्तामृत लौह
पुनर्नवा मंडूर
कैशोर गुग्गुल
इसके अतिरिक्त, आँखों के बाहरी उपयोग के लिए “उजाला आई ड्रॉप” (हिमालय केमिकल लेबोरेट्री फार्मेसी, हरिद्वार द्वारा निर्मित) का उपयोग लाभकारी है। इन दवाओं को किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से ही लें।

अन्य सुझाव
नियमित रूप से योग और प्राणायाम करें। विशेष रूप से त्राटक क्रिया और अनुलोम-विलोम।
सूर्योदय के समय सूर्य नमस्कार और सूर्य मंत्र का जाप करें। यह आँखों के स्वास्थ्य के साथ मानसिक शांति भी प्रदान करता है।
डिजिटल स्क्रीन पर लंबे समय तक काम करने से बचें।
निष्कर्ष
आयुर्वेद में बताए गए ये उपाय न केवल आँखों की रोशनी को सुधारने में मदद करते हैं, बल्कि आपकी आँखों को दीर्घकाल तक स्वस्थ बनाए रखने में भी सहायक होते हैं। यह समझना जरूरी है कि इन उपायों से तत्काल परिणाम नहीं मिलते, लेकिन धैर्य और नियमितता से पालन करने पर निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।
स्वस्थ आँखों के लिए जीवनशैली में सुधार करें, तनाव से बचें, और आयुर्वेद के इन उपायों को अपनाएँ।
Disclaimer:
यह जानकारी शैक्षणिक उद्देश्य के लिए है। किसी भी उपाय को अपनाने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
(हम अपने आयुर्वेदिक वैद्यों के समूह में ये सभी दवाइयाँ बनाते हैं – हस्तनिर्मित। भारत और विदेशों में अपने मरीजों को रजिस्टर्ड पोस्ट पार्सल / स्पीडपोस्ट द्वारा भेजे जाते हैं। संपर्क करें व्हाट्सएप और फोन +91 98351 93062)
Leave a Reply