गठिया और यूरिक एसिड का संबंध
गठिया का मुख्य कारण शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना है। जब शरीर इस एसिड को समय पर बाहर नहीं निकाल पाता, तो यह जोड़ों में क्रिस्टल के रूप में जमा हो जाता है, जिससे सूजन और दर्द होता है। आयुर्वेद में, इसे वात रोग की श्रेणी में रखा गया है। इस लेख में हम ऐसे सुझाव देंगे, जो न केवल आपके यूरिक एसिड को नियंत्रित करने में मदद करेंगे, बल्कि आपके जीवनशैली और आहार को भी संतुलित करेंगे।

आहार में क्या परहेज करें?
1. अंडे और मांसाहार से दूरी:
यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहला कदम मांसाहार और अंडे का सेवन बंद करना है। ये खाद्य पदार्थ यूरिक एसिड के उत्पादन को बढ़ाते हैं। अगर आपका यूरिक एसिड पहले से ही बढ़ा हुआ है, तो इन्हें त्यागना आवश्यक है।
2. दही का सेवन बंद करें:
दही, जो कि एक भारी और अभिष्यंदि आहार है, पाचन तंत्र को कमजोर करता है। यदि पाचन तंत्र कमजोर होगा, तो यह सामान्य भोजन को पचाने में असमर्थ रहेगा, जिससे यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता है। दही की जगह छाछ या हल्के प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
3. गैस बनाने वाले खाद्य पदार्थ न खाएं:
पाचन के दौरान गैस बनाने वाले आहार, जैसे मटर, पालक, फूलगोभी और पत्तागोभी, यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकते हैं। इनसे बचना चाहिए।
4. पानी की मात्रा बढ़ाएं:
यूरिक एसिड को किडनी के माध्यम से शरीर से बाहर निकालने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पिएं। यह यूरिक एसिड के क्रिस्टल बनने की प्रक्रिया को धीमा करता है।
विहार (जीवनशैली) में बदलाव
1. कब्ज से छुटकारा पाएं:
गठिया रोगियों में कब्ज आम समस्या है। बड़ी आंत शरीर में वात (हवा) का नियंत्रण करती है। कब्ज होने पर वात सही तरीके से नियंत्रित नहीं हो पाता, जिससे यूरिक एसिड बढ़ने की संभावना रहती है। त्रिफला का सेवन गर्म पानी के साथ करें, जो तीनों प्रकार की प्रकृति (वात, पित्त, कफ) के लिए उपयुक्त है।
2. योग से वात संतुलन:
पवनमुक्तासन सीरीज-वन, जो 17 आसनों का समूह है, वात रोगियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। इसे नियमित रूप से सुबह करें। इसे सीखने के लिए इंटरनेट पर वीडियो देखकर अभ्यास शुरू कर सकते हैं।
सुबह की दिनचर्या का महत्व
1. मलत्याग के सही समय का चयन:
आयुर्वेद के अनुसार, सुबह 2 से 5 बजे के बीच का समय “वात काल” कहलाता है। इस समय मल त्याग करने से शरीर से अवांछित वात (हवा) बाहर निकलती है। यदि आप इस समय मल त्याग करते हैं, तो आपकी बड़ी आंत साफ होती है और शरीर शुद्ध वात का निर्माण करता है।
5 बजे के बाद क्या होता है?
5 से 8 बजे: कफ काल। इस समय मल कठोर और भारी हो जाता है।
8 से 11 बजे: पित्त काल। इस दौरान शरीर में गर्मी बढ़ती है, जिससे मल सूखने लगता है और इसे निकालने में कठिनाई होती है।
2. सुबह जल्दी उठने के लाभ:
जल्दी उठकर सही दिनचर्या का पालन करने से आपका मेटाबॉलिज्म संतुलित होता है और यूरिक एसिड के स्तर में गिरावट आती है। यह छोटी सी आदत गठिया से राहत में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
आयुर्वेदिक उपाय और सुझाव
1. सहजन (ड्रमस्टिक) का प्रयोग:
सहजन यूरिक एसिड को नियंत्रित करने में सहायक है। इसका सूप बनाकर नियमित सेवन करें।
2. गिलोय का रस:
गिलोय एक प्राकृतिक इम्यून बूस्टर है, जो शरीर में सूजन और यूरिक एसिड के स्तर को कम करता है।
3. अलसी और मेथी दाना:
रातभर भिगोकर इनका सेवन करने से जोड़ों की सूजन में राहत मिलती है।
निष्कर्ष
यूरिक एसिड का बढ़ना केवल एक शारीरिक समस्या नहीं है; यह आपकी दिनचर्या, आहार और जीवनशैली से भी जुड़ा है। सही समय पर सही आदतें अपनाकर आप न केवल यूरिक एसिड को नियंत्रित कर सकते हैं, बल्कि गठिया से होने वाले दर्द और असुविधा से भी बच सकते हैं। बदलाव करना आपकी चॉइस है—यह आपके स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है या फिर आपकी तकलीफें बढ़ा सकता है।
तो आज ही स्वस्थ दिनचर्या की ओर कदम बढ़ाएं!
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