
आयुर्वेद में किसी जड़ी-बूटी का आंकलन रस, गुण, वीर्य, विपाक और कर्म के आधार पर होता है। इन जड़ी-बूटियों (अश्वगंधा, शतावर, सफेद मूसली तथा कौंच बीज) के इन गुणों को समझकर हम यह निर्णय ले सकते हैं कि गर्मियों में इनका उपयोग लाभकारी है या नहीं।तो चलें अश्वगंधा, शतावर, सफेद मूसली और कौंच बीज का मुल्यांकन करने। वैसे ये चार मुख्यतः कामशक्ति वर्धक जरीबूटियां हैं। ज्यादा उम्मीद आप वही लाभ खोज रहे।
अश्वगंधा:
- रस: तिक्त, कषाय
- गुण: लघु
- वीर्य: उष्ण
- विपाक: मधुर
- कर्म: रसायन, वात-कफ नाशक, बाल्य, वाजीकर
अश्वगंधा एक उष्ण वीर्य वाली जड़ी-बूटी है, जिसका मतलब है कि यह शरीर में गर्मी पैदा कर सकती हैपर ऐसा यह करती नहीं है। अपने उष्ण गुण का कर्म यह वात और कफ को शमित करने में करती हैं, जिससे यह गर्मियों में भी सुरक्षित है। रसायन, बल्य, वाजीकारक गुणों के आधार पर यह उस कसौटी पर खङा उतरता है जिसकी आपको तलाश है।
शतावरी:
- रस: मधुर, तिक्त
- गुण: गुरु, स्निग्ध
- वीर्य: शीत
- विपाक: मधुर
- कर्म: बुखार, अपच, गैस्ट्रिक अल्सर के लिए उपयोगी
शतावरी के शीत वीर्य और मधुर विपाक के कारण यह गर्मियों में ठंडक प्रदान करता है और पित्त को शांत करता है। यह पाचन तंत्र के लिए भी लाभकारी है। भूख बढाता है जो गर्मियों में प्राकृतिक रूप से कम हो जाती है। भोजन अधिक, पच भी रहा तो रस धातु अधिक, इससे अन्य धातु भी अधिक। शुक्र धातु का निर्माण भी अधिक। फिर कामशक्ति बढेगा ही।
सफेद मूसली:
- रस: मधुर
- गुण: गुरु, स्निग्ध
- वीर्य: शीतल
- विपाक: मधुर
- कर्म: वात-पित्त शामक, कफ वर्धक
सफेद मूसली भी शीत वीर्य वाली जड़ी-बूटी है, जो गर्मियों में ठंडक प्रदान करती है और वात व पित्त को संतुलित करती है। यह अतिशुक्रल है, वीर्य निर्माण में सभी जरीबूटियों में एक नम्बर पर रहता है। अतः सुरक्षित भी, काम की भी।
कौंच बीज:
- रस: तिक्त, मधुर
- गुण: गुरु, रुक्ष, स्निग्ध
- वीर्य: शीत
- विपाक: मधुर
- कर्म: कफ-वात शामक, बल्य, पुष्टिकारक
कौंच बीज के शीत वीर्य और मधुर विपाक के कारण यह भी गर्मियों में उपयोगी है। यह कफ और वात को संतुलित करता है और शरीर को शक्ति व ऊर्जा प्रदान करता है।
निष्कर्ष:
अश्वगंधा को छोड़कर अन्य तीनों जड़ी-बूटियां शीत वीर्य वाली हैं। अश्वगंधा, उष्ण वीर्य होते हुए भी वात-कफ शामक है, जिससे यह गर्मियों में भी उपयोगी होती है। चारों जड़ी-बूटियों का विपाक मधुर है, जिससे यह धीरे-धीरे पचती हैं और पित्त को नहीं बढ़ातीं। कटु रस किसी भी जड़ी-बूटी में नहीं है, जिससे यह गर्मियों में सुरक्षित हैं।
इन चारों जड़ी-बूटियों का मिश्रण गर्मियों में लाभदायक और हानिरहित होता है। इसके साथ ही आप विधारा, तालमखाना, बला बीज और शिलाजीत मिला दें हमारे वैद्य समूह का हस्तनिर्मित धातु पुष्टक चूर्ण (₹225/100 ग्राम) बन जायेगा। उपरोक्त जैसी व्याख्या के आधार पर ये अन्य चार भी गर्मियों में सुरक्षित हैं। यह मिश्रण गर्मियों में शरीर को ठंडक और शक्ति प्रदान करने में सक्षम है।
वास्तव में, आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, इन जड़ी-बूटियों का समुचित उपयोग गर्मियों में आपकी सेहत के लिए बहुत लाभकारी हो सकता है। यथानाम यह धातु पुष्टक चूर्ण मिश्रण सप्तधातु (रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्र) को पुष्ट करके पूरे शरीर को पुष्ट करता हुआ कामशक्ति वर्धन करता है । इनका नियमित सेवन न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाएगा बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करेगा।
आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी जड़ी-बूटी का उपयोग विशेषज्ञ की सलाह पर ही करना चाहिए। यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है या आप किसी अन्य दवा का सेवन कर रहे हैं, तो पहले अपने वैद्य से परामर्श अवश्य लें। इस प्रकार, आप गर्मियों में भी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सुरक्षित और प्रभावी रूप से उपयोग कर सकते हैं।
आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी और आप इन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का लाभ उठा पाएंगे।
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