(आयुर्वेद दिवस 23 सितम्बर के उपलक्ष में वैद्य अजित करण का दस दिवसीय आयुर्वेदिक लेखमाला की तीसरी कड़ी – 16 सितम्बर दिन 3: कोविड-काल में लाखों लोग की जान बची )

कोविड- 19 में आयुर्वेद की सफलता – 23 सितम्बर के आयुर्वेद दिवस तक चलने वाले दस दिवसीय आयुर्वेद महोत्सव का दिन 3 : स्वदेशी शोध की जीत: कोविड-19 की recovery (रिकवरी) और long-Covid (लॉन्ग कोविड) के लक्षणों में आयुर्वेदिक प्रोटोकॉल की सफलता पर एक रिपोर्ट।

कोविड- 19 में आयुर्वेद की सफलता : कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य के प्रति अपनी सोच बदलने पर मजबूर कर दिया। जहाँ एक ओर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान वैक्सीन और दवाओं के विकास में जुटा था, वहीं भारत की प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति ने अपनी समग्र और प्राकृतिक चिकित्सा से न केवल संक्रमण से उबरने में, बल्कि उसके बाद की जटिलताओं (Long COVID) से लड़ने में एक अहम भूमिका निभाई। आज, हमारे ‘दस दिवसीय आयुर्वेद महोत्सव’ के तीसरे दिन, हम भारत सरकार के AYUSH मंत्रालय द्वारा जारी प्रोटोकॉल और स्वदेशी शोधों पर आधारित एक रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं, जो कोविड रिकवरी और लॉन्ग कोविड में आयुर्वेद की अविश्वसनीय सफलता को उजागर करती है।

लॉन्ग कोविड: एक रहस्यमयी और दुर्बल करने वाली स्थिति

कोविड-19 से ठीक होने के बाद भी लाखों लोग हफ्तों और महीनों तक इसके लक्षणों से जूझते रहे। इस स्थिति को ‘लॉन्ग कोविड’ या ‘पोस्ट-कोविड सिंड्रोम’ नाम दिया गया। इसके सामान्य लक्षणों में अत्यधिक थकान, सांस फूलना, जोड़ों का दर्द, ब्रेन फॉग (एकाग्रता में कमी), नींद न आना और तनाव शामिल हैं। यह स्थिति रोगियों के जीवन की गुणवत्ता को गहराई से प्रभावित कर रही थी, और इसके लिए आधुनिक चिकित्सा के पास कोई एकल उपचार नहीं था।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण: कोविड-19 को समझना

आयुर्वेद के अनुसार, कोविड-19 एक संक्रामक रोग है, जिसे ‘आगंतुज ज्वर’ की श्रेणी में रखा जा सकता है। माना गया कि यह बीमारी मुख्य रूप से वात और कफ दोषों को असंतुलित करती है, जिससे श्वसन तंत्र प्रभावित होता है और शरीर की पाचन अग्नि (मेटाबॉलिज्म) मंद पड़ जाती है। रिकवरी के बाद भी, यह असंतुलन शेष रह जाता है, जो लॉन्ग कोविड के लक्षणों के रूप में प्रकट होता है।

भारत सरकार की पहल: AYUSH प्रोटोकॉल और स्वदेशी शोध

भारत सरकार के AYUSH मंत्रालय ने महामारी के दौरान और बाद में आयुर्वेदिक दिशा-निर्देश जारी किए। इन प्रोटोकॉल्स को देश भर के प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक संस्थानों और चिकित्सकों के सहयोग से तैयार किया गया था। इसके अलावा, कई clinical studies और trials conducted by institutions like the Central Council for Research in Ayurvedic Sciences (CCRAS) showed positive outcomes.

आयुर्वेदिक प्रोटोकॉल: रिकवरी और लॉन्ग कोविड के लिए एक समग्र योजना

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना (Immunity Boosting): प्रसिद्ध आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन जैसे च्यवनप्राश, अश्वगंधा, और गिलोय घनवटी को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सुझाया गया।
  • वायरल लोड कम करना: गिलोय (गुडूची), एक लोकप्रिय जड़ी बूटी, का उपयोग एंटी-वायरल एजेंट के रूप में किया गया।
  • रिकवरी और रिहैबिलिटेशन (पुनर्वास): कोविड से उबरने के बाद, पंचकर्म की हल्की therapies जैसे वस्ति और नस्यम को शरीर से toxins निकालने और strength restore करने के लिए recommend किया गया।
  • लॉन्ग कोविड के लक्षणों का प्रबंधन:

    • थकान और कमजोरी: अश्वगंधा चूर्ण और द्राक्षारिष्ट जैसे रसायन (rejuvenators)।

    • सांस की तकलीफ: वासावलेह और कंटकार्यावलेह जैसे फेफड़ों के लिए टॉनिक।

    • ब्रेन फॉग और मानसिक तनाव: ब्राह्मी, शंखपुष्पी, और मेध्य रसायन।

    • जोड़ों का दर्द: योगराज गुग्गुल और महारास्नादि कषायम।

सफलता की कहानी: एक केस स्टडी

45 वर्षीय सुश्री मीना (नाम बदला हुआ), एक शिक्षिका, कोविड-19 से उबरने के बाद गंभीर थकान और सांस फूलने की समस्या से months तक जूझ रही थीं। उनकी routine पूरी तरह से disrupted हो गई थी। एक आयुर्वेदिक चिकित्सक ने उन्हें एक comprehensive plan दिया, जिसमें dietary changes (warm, easily digestible food), अश्वगंधा and च्यवनप्राश for strength, and प्राणायाम for lung capacity शामिल था। within 6 weeks, मीना ने significant improvement महसूस किया। their energy levels increased, and shortness of breath greatly reduced. they were able to return to their normal life.

निष्कर्ष: एक स्थायी और सुलभ समाधान

कोविड-19 महामारी ने आयुर्वेद की relevance और effectiveness को फिर से स्थापित किया है। यह केवल एक alternative medicine नहीं, बल्कि एक evidence-based, holistic system साबित हुई है, खासकर रिकवरी और long-term health management के मामले में। government initiatives and scientific research have played a key role in integrating Ayurveda into mainstream healthcare during this crisis. इसने न केवल लाखों लोगों की quality of life सुधारने में मदद की, बल्कि दुनिया को भारत की medical heritage की शक्ति भी दिखाई।

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स्रोत एवं अतिरिक्त पठन हेतु: