शहरी जीवनशैली के चलते उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर आज एक आम समस्या बन गई है। बढ़ते तनाव, अनियमित दिनचर्या, असंतुलित आहार, और शारीरिक गतिविधि की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। हालांकि, अगर हम अपनी जीवनशैली में कुछ सुधार करें और आयुर्वेदिक उपाय अपनाएं, तो यह समस्या न केवल नियंत्रित हो सकती है, बल्कि हमारी संपूर्ण जीवनशैली भी बेहतर हो सकती है।

**आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से जीवनशैली में बदलाव**
उच्च रक्तचाप को सामान्य करने के लिए सबसे पहले अपनी जीवनशैली में बदलाव करना जरूरी है। नियमित योग, सुबह की सैर, और समय पर उचित भोजन करना इसमें सहायक हो सकता है। हालांकि, यह बदलाव तुरंत परिणाम नहीं देंगे; इसे सामान्य करने में समय लग सकता है, लेकिन धैर्य और नियमितता से यह पूरी तरह संभव है।
**सुरक्षित और प्राकृतिक तरीके से आंतों की सफाई**
आंतों की सफाई हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। अगर आप कब्ज की समस्या से पीड़ित हैं, तो पंच हरण चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। यह न केवल आंतों को साफ रखेगा बल्कि आपके पाचन को भी दुरुस्त करेगा। इसके अलावा, दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी जरूरी है, जिससे शरीर में तरलता बनी रहे और टॉक्सिन्स बाहर निकलें।
**नींद का महत्व और आयुर्वेदिक समाधान**
पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद लेना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आठ घंटे की नींद जरूर लें और अगर नींद की समस्या है तो एलोपैथिक गोलियों से बचें। आयुर्वेद में स्मृति सागर रस या स्मृता चूर्ण जैसी औषधियों का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, सोने से पहले हल्का तेल मालिश करने से भी नींद में सुधार हो सकता है। तेल का चुनाव मौसम के अनुसार करें—सर्दियों में सरसों का तेल और गर्मियों में नारियल तेल का उपयोग करें।
**रक्त शुद्धि और हृदय स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक उपचार**
रक्त को शुद्ध रखना और हृदय को स्वस्थ बनाए रखना उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होता है। अर्जुन छाल का क्षीरपाक, जो दूध और पानी के साथ बनाया जाता है, इसमें बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। यह न केवल बीपी को नियंत्रित करेगा बल्कि हृदय को भी स्वस्थ रखेगा।
**पाचन को दुरुस्त करने के उपाय**
पाचन तंत्र को मजबूत रखना उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है। शाम को 7 बजे डिनर कर लेना सबसे अच्छा उपाय है। अगर पाचन में समस्या है, तो हिंगवाष्टक चूर्ण और शिलाजीत भस्म का सेवन कर सकते हैं। यह दोनों औषधियां पाचन को दुरुस्त करने में अत्यधिक सहायक हैं और सुरक्षित भी हैं।
**वजन नियंत्रण और संतुलित रक्तचाप**
संतुलित वजन और रक्तचाप के बीच सीधा संबंध है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में संतुलित वजन रखने के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं। शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवाओं के माध्यम से इसे किया जा सकता है, जो आर्थिक रूप से भी किफायती है। नियमित अभ्यास और आयुर्वेदिक उपचार से यह पूरी तरह संभव है।
**आयुर्वेदिक उपचार और घरेलू उपाय**
उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेदिक दृष्टिकोण बेहद प्रभावी हो सकता है। नियमित रूप से पुदीने की चटनी और नींबू का सेवन करें। लहसुन की 2-3 कलियां रोज सुबह खाली पेट चबाएं। टमाटर और अनार का भी नियमित सेवन करें। अगर पेट साफ नहीं रहता, तो आयुर्वेदिक कब्जनाशक का सेवन कर सकते हैं।
मुनक्का या काली किसमिस को रातभर भिगोकर सुबह सेवन करें और वह पानी भी पिएं। यह उच्च रक्तचाप और कब्ज दोनों में फायदेमंद है। साथ ही, दालचीनी का एक टुकड़ा मुंह में रखकर धीरे-धीरे चबाएं, अगर शुगर नहीं है, तो शहद के साथ इसका सेवन करें।
**आयुर्वेदिक औषधियां और उनके फायदे**
सर्पगंधा मिश्रण वटी, त्रिफला, और अश्वगंधा जैसी आयुर्वेदिक औषधियां रक्तचाप को नियंत्रित करने में बेहद प्रभावी हैं। यह न केवल उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करती हैं बल्कि तनाव और नींद की समस्या को भी दूर करती हैं। इसके अलावा, ये औषधियां पौरुष शक्ति को भी बढ़ाती हैं।
अगर फिर भी रक्तचाप नियंत्रित नहीं होता, तो प्रभाकर वटी और अर्जुन छाल का क्षीरपाक उपयोग कर सकते हैं। इन औषधियों के साथ-साथ अगर वजन अधिक है, तो छोटे पपीते का सेवन भी फायदेमंद है। मेदोहर गुग्गुल, आरोग्य वर्धनी वटी, और मूली क्षार भी वजन घटाने और रक्तचाप नियंत्रित करने में सहायक हैं।
**अंतिम सुझाव**
उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना और स्वस्थ जीवन जीना आयुर्वेद के माध्यम से संभव है। हालांकि, इसके लिए नियमितता, धैर्य, और समर्पण की आवश्यकता होती है। योग और प्राणायाम के साथ आयुर्वेदिक उपचार का संयोजन आपको न केवल रक्तचाप से मुक्ति दिला सकता है, बल्कि आपके जीवन को भी संपूर्ण रूप से बदल सकता है।
आखिरकार, जब आप अपनी सेहत का ख्याल रखते हैं, तो आप पहले की तरह ही फिट और स्वस्थ महसूस करेंगे, जैसे कि उच्च रक्तचाप कभी आपकी जिंदगी का हिस्सा था ही नहीं।
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