
आयुर्वेद के चौंकाने वाले रहस्य सभी जानना चाहेंगे मगर ये अधिकतर गुप्त रखे जाते हैं। मुझे जो और जितना ज्ञात है बताता हूं :-
दुनिया कैंसर रोग से इतनी परेशान है। भेङी का दूध पीना, गौमूत्र पीना हल्दी डाल कर या शिवाम्बु ( अपना मूत्र) पीना ; और कैंसर खत्म। दवा चाहें तो कंचनार गुग्गुल, वृद्धि वाधिका वटी, ताम्र भस्म+कपर्दक भस्म, सप्तविंशति गुग्गुल, महामंजिष्ठादि क्वाथ चूर्ण- आरम्भिक शास्त्रीय औषधियां हैं आयुर्वेद से इसके लिये, सस्ते में। नहीं चौंके ?
कोरोना, निकट भूतकाल का सबसे गर्म मेडिकल मुद्दा। सहज सुलभ जरीबूटी से ठीक होता। तुलसी पत्ता, गिलोय, मरीच, दालचीनी, अदरक या सोंठ – फेंट कर काढा बनायें।होगा नहीं, हो गया तो ठीक होगा। पर यह तो शायद सबको पता है।
दम्मा, शुगर ठीक करने की बात करना भी कानूनन अपराध है। पर नये केस ठीक तो होते हैं यहां, पुराने शायद नहीं । स्वांस कुठार रस, टंकण भस्म, सोमपान घृत , भिलावा भस्म – दम्मा हेतु मुख्य दवायें। स्वर्ण बसंत कुसुमाकर, शोधित शिलाजीत+ताम्र भस्म+त्रिबंग भस्म, चांदी भस्म, चन्द्रप्रभा वटी – शुगर हेतु। शुगर नियंत्रण हेतु तो मेथी बीज, जामुन, करेला रस, गुङमार, – – आदि ही काफी है। प्री-डायबेटिक ? बस दालचीनी चूर्ण 2.5 ग्राम सुबह गर्म पानी से रोज एक बार और परहेज – दवा की जरूरत नहीं होगी कभी।
ऐसे ही थायराइड भी ठीक करते यहां। नियंत्रण तो बस हरी धनिया पत्तियों के काढा से ही हो जाता है। गण्डमाला कण्डन रस, कचनार गुग्गुल, त्रिकटु, टंकण भस्म, निर्गुण्डी तेल वाह्यलेपन – जङ से ठीक। लगभग एक साल में।
किडनी खराब हो गया, डायलिसिस हो रहा। भुट्टे के बाल/रेशम का काढा पीयें, गोखरू रात भर भिंगो कर वह पानी पीयें, ताजी पुनर्नवा (गदहपूर्णा, खपङा साग) का साग बनाकर सेवन करें। ताजे धनिया पत्ता का काढा पीयें। अर्क कासनी+अर्क मकोय+अर्क बदायन+अर्क या स्वरस पुनर्नवा सेवन भी करें। बन्द होगा डायलिसिस। यहाँ ध्यान रहे, ओटो-इम्यून नेफरोपैथी में यह कारगर नहीं। पर दोनों तरह के किडनी फेल्योर ठीक होते हैं आयुर्वेद में।
जाॅन्डिस एक दिन में सही करना चाहते ? पास के झाड़ियों से एरण्ड का एक ही कोमल पत्ता , जो अभी परिपक्व नहीं हुआ, ले आयें। सिल बट्टे पर पानी का छींटा देते हुऐ पीस कर पतले कपङे में लुगदी डाल निचोङें, रस निकालें। एक चम्मच होगा। पी जायें। फिर एक ग्लास जल भी पीयें।फिर दिन भर मूली, गन्ना रस, गौदुग्ध लें, अन्य बन्द। नमक तो हरगिज़ नहीं। अगले दिन जांच करा लें। पूरा जादू न चला तो कामलाहर क्वाथ चूर्ण, ताप्यादि लौह वटी, यकृदरी लौह वटी, आदि हैं न।
आयुर्वेद पैसे कमाने हेतु बना ही नहीं। यह भी एक वजह कि पिछड़ गया। मेरे लिये तो इसका पिछङा होना ही सबसे चौंकाने वाला तथ्य है।
हर्पिस हो गया ? बस नागदौन का रस लगायें उसपर। महातिक्त घृत, मुलेठी+अर्जुन+हर्रे चूर्ण सेवन घी से।
सांप ने काट लिया ? जहरीला था ? निकट के पान दूकान सेपत्ते का डंठल ले आयें जिसे वे काट कर अलग रखते फेकने के लिये। एक डंठल तुरंत दे कर कहें मुंह में रख कर चबायें तथा रस चूसें। थोडे से अन्य डंठल पीस कर ताजा रस निचोङें तथा पिला दें। हर पांच मिनट पर पिलाते रहें। जैसे-जैसे विष उतरता दिखे, रस पिलाने की समय अवधि बढेते जायें। रीठा चूसें, गुम्मा/द्रोणपुष्पी पूरा पौधा धो-पीस कर पी लें। बेहोश है तो रस नाक में टपकायें। खूब नहलायें (जाङे का मौसम न है तब)। सोयें नहीं। चलें, दौङें नही। बस। जान बच गयी, अब जहर मोहरा खताई+गिलोय सत्व का सेवन, जो नुकसान हुआ वह खत्म करने हेतु।
दिक्कत यह है कि ये तरीके थोङे झंझट वाले हैं। शहर वालों के लिये तो और भी कठिन।
महिला बन्ध्याकरण ! क्यों आपरेशन करा रहे। हिन्दी तिथि से किसी भी महिने ( चैत, बैशाख, आदि) के 28, 29 या 30 तारीख को धतूरे का जङ उखाड़ कर महिला के कमर में एक इंच का टुकड़ा डराडोर (कमर का काला धागा) से बांध दें। जब तक यह रहेगा, महिला गर्भवती नहीं होगी। हर महीने पुराना हटा कर नया टुकङा बांधें। शतावर चूर्ण का सेवन दूध से करती हैं तो और बढिया, बन्ध्याकरण हेतु नहीं स्वास्थ्य हेतु।
बच्चे के हृदय में छेद – Ventricular Septal Defect (VSD). आक के फूल के सारे पत्ते नोच कर फेंक दें। जो बचा उसे हम फिरकी कहते। सिर्फ एक फारकी रोज आधे चम्मच घी में भून कर सुबह खिलायें। थोङा समय लगेगा, पर छेद भर जायेगा। सपोर्ट में अर्जुन छाल चूर्ण दूध+पानी, 50:50 में उबाल कर सेवन। बच्चा दूध नहीं पीता तो भी यह पीयेगा।
कुछ और चौंकाने वाले तथ्य :-सुबह खाली पेट आक के दो कोपल चबाकर सेवन करें। मलेरिया खत्म, ज्यादा उम्मीद एक बार में ही। हां एक बार ही यह लें। न खत्म हुआ तो महासुदर्शन चूर्ण, कसीस गोदन्ति भस्म।
उड़द की धुली दाल (यानि बिना छिलका वाली) – उबाल-पीस कर रात में हाइड्रोसील पर मोटा लेप करके पट्टी बांध दें, सो जायें। बढा हाइड्रोसील सामान्य हो जायेगा। वृद्धि वाधिका वटी भी है इसके लिये।
बच्चे का गूंगापन – वच का टुकड़ा चूसें। स्मृता चूर्ण का सेवन करायें। सारिवाद्यारिष्ट 4 चम्मच दो बार पिलायें, आधा कप जल मिलाकर। यह बङों के गूंगेपन में भी कारगर है पर समय ज्यादा लगता है।
दस्त/Diarrhea – आम का 3 टुस्सा चबाकर खायें।टुस्सा यानि नया निकल ही रहा कोमल पत्ता। पेङ में थोङा खोजना पङेगा तब मिलेगा।
उच्च रक्तचाप – पुदीने की चटनी, सुबह और फिर हर भोजन के साथ। और जरूरत हुआ तो सर्पगंधा घनवटी देन है आयुर्वेद की इसके लिये।
घुटनों में पानी भर जाना – सहिजन जङ की छाल लपेट कर पट्टी बांध दें। जङ खोदने व छीलने में लङकी की खुरपी का प्रयोग करें, लोहे वाला नहीं। लोहा न सटे, बस। चूर्ण चाहें तो हमलोग के पास से।
गर्भस्थ महिला का बच्चा गोरा हो, माता-पिता काले हों तो भी – गर्भावस्था में बंसलोचन का गौदुग्ध से सेवन। सुबह-शाम। महिला को वैसे भी बंसलोचन दें, चबाने हेतु, जो गर्भावस्था में वे कुछ-कुछ खोजती हैं। चबाकर खा सकती हैं।
वजन घटाना। शहर के लोगों के बीच एक सबसे बङा क्रेज। वजन बढाने वाली बीमारियों को नियंत्रित या ठीक करना तो पहली आवश्यकता है। हाइपोथाइराइडिज्म, शुगर, लो बी पी, फैटी लिवर, आदि। पर इनके साथ भी जीया जा सकता है वह भी हल्का बन कर। एक छोटा कच्चा पपीता लायें। छील कर या बेहतर बिना छीले छोटे-छोटे टुकड़े करें। जरूरत भर पानी व नमक, मरीच डाल कर पकायें। रोज पकायें रोज खायें, सुबह-सुबह।
अलसी भून कर चूर्ण करें। एक चम्मच सुबह-शाम गर्म जल से सेवन।
धनिया का काढा पीयें। सहजन छाल का काढा पीना।
त्रिफला एक चम्मच सुबह-शाम शहद फेंट कर सेवन।
मेदोहर गुग्गुल, मूली क्षार, शिघ्रुआदि क्वाथ चूर्ण , आरोग्य वर्धनी वटी, त्रिष्णादि लौह गुग्गुल, कर्व्याद रस वटी – आयुर्वेद के पास तो दवायें थोक में हैं, वजन घटाने की। और कोई बहुत कीमती नहीं। क्या यह चौंकाने वाला रहस्य नहीं है कि इसके बावजूद बहुत ही महंगी और कम असरदार दवायें भी खूब बिक रहीं ?
जय आयुर्वेद।
(हम अपने आयुर्वेदिक वैद्यों के समूह में ये सभी दवाइयाँ बनाते हैं – हस्तनिर्मित। भारत और विदेशों में अपने मरीजों को रजिस्टर्ड पोस्ट पार्सल / स्पीडपोस्ट द्वारा भेजे जाते हैं। संपर्क करें व्हाट्सएप और फोन +91 98351 93062)
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