
Atherosclerosis (रक्त धमनियों में गन्दगी जमना)
क्या आयुर्वेद में कोई ऐसी दवा है, जिसके इस्तेमाल से ह्रदय को रक्त की सप्लाई रोकने वाले थक्के बिना ऑपरेशन के रिमूव हो जाएँ?
सबसे पहली दवा ( 1st line medicine) तो है प्रभाकर वटी, अर्जुन छाल के दूध+पानी ( 50:50) मे बने काढा से सेवन। यदि BP, Sugar, Thyroid है तो आयुर्वेदिक औषधियां से नियंत्रित करें, अंग्रेजी दवा सभी बन्द। दर्दनाशक भी नहीं। कब्जनाशक का सही चुनाव कर कब्ज से पूर्ण दूरी। गैस की समस्या भी ठीक करना होगा। साथ ही home remedies के रूप में आप खून पतला करने हेतु लहसुन+दालचीनी भी मुंह में लेकर हल्के-हल्के चबाते हुऐ चूसें। दूध में हल्दी पीना, अलसी भून कर चूर्ण करके एक-एक चम्मच गरम जल से सुबह-शाम सेवन। कच्ची हल्दी का टुकड़ा चबाकर चूसना। लाल मिर्च युक्त सब्जी का सेवन – जी हां सही पढे। इसमें उपस्थित कैप्सेसिन LDL/खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। कच्चा लौकी का जूस पीना तुलसी पत्ता, पुदीना, सेंधा नमक मिलाकर (यदि जूस का स्वाद तिक्त हो तो न पीयें, यह जहरीला है)। सफेद नमक ( सोडियम क्लोराइड) व चीनी का सेवन बन्द।
हृदय धमनियों में कफ दोष जमा हो जाना। कफ पांच तरह के। उनका वात, पित्त से संयोग। यह सब ध्यान में रख कर आगे की आयुर्वेदिक दवाओं का निर्णय लेते वैद्यगण।
शिलाजीत, अकीक पिष्टी, प्रवाल पिष्टी , जवाहर मोहरा, वृहद् वातचिन्तामणि रस, चन्द्रप्रभा वटी, आदि अनेक औषधियां हैं जो रक्त के थक्के को गला देती हैं। आपरेशन तो हरगिज़ न करायें।
हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन (HDL) को बढ़ाने और ट्राइग्लिसराइड को कम करने के कुछ घरेलू उपचार क्या हैं?
उच्च ट्राइग्लिसराइड्स का क्या कारण है? चीनी और लाल मांस।
ट्राइग्लिसराइड्स कैसे कम करें: सही प्रकार का वसा खाएं।
नदी की मछली, जो ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर होती है, ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद करती है। अन्य खाद्य पदार्थ जो ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद करते हैं, उनमें फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ शामिल हैं जैसे ओट्स, अलसी /तीसी और बीन्स (फलियां – सीम, राजमा, मटर)।
जब ट्राइग्लिसराइड का स्तर अधिक होता है, तो प्रमुख खतरों में से एक है मेटाबोलिक सिंड्रोम। मेटाबोलिक सिंड्रोम कई संबंधित चयापचय संबंधी विकारों को जन्म देता है, जो एक साथ पाए जाने पर, हृदय रोग, स्ट्रोक ( लकवा) और मधुमेह के विकास की संभावना को बढ़ाते हैं। ट्राइग्लिसराइड के उच्च स्तर के अलावा, ये निष्क्रियता, मोटापा और उम्र बढ़ने के कारण भी होते है, अतः अकेला ट्राईग्लिसराईड ही जिम्मेदार नहीं।
अब याद रखें, सही मात्रा में ट्राइग्लिसराइड्स प्राप्त करना आपके निरंतर स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
आप जो वसा चाहते हैं वह मोनो- और पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (PUFA) हैं, जैसे अखरोट में पाए जाने वाले, बिना त्वचा के चिकन। इसके अलावा, संतृप्त वसा की खपत को सीमित करें, जो रेड मीट, आइसक्रीम में पाया जाता है।
यह सब ट्राइग्लिसराइड्स के बारे में।
अब हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) पर आते हैं। यह जितना ज्यादा उतना बढिया।
बढ़ा हुआ एचडीएल हृदय, धमनियों के लिए अच्छा है। यह इनके अंदर के थक्के और गंदगी को साफ करता है।
कम कार्ब ( चावल, आलू) यानि कीटोजेनिक आहार का पालन करें। कीटो डाइट जिसे कीटोजेनिक डाइट भी कहा जाता है, एक हाई-फ़ैट डाइट होती है। इस डाइट में शरीर ऊर्जा के लिए फ़ैट पर निर्भर करता है। इस डाइट में कार्बोहाइड्रेट बहुत कम और प्रोटीन बहुत ही मॉडरेट या नियंत्रित मात्रा में दी जाती है।
आहार में नारियल तेल शामिल करें। …
बादाम, अलसी, पत्तेदार हरी सब्जियां, मांसाहार, नारियल और पानी।
Leave a Reply